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Showing posts from April, 2017

क्यूँ कुछ रास्ते कभी कहीं नहीं जाते.......

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क्यूँ ठहर सी जाती है जिंदगी किसी मोड़ पर ....... क्यूँ कुछ रास्ते कभी कहीं नहीं जाते.......
शामिल किया तन्हाईओं में जबसे तुझे  ?  ....... न सोज़े दिल रहा कोई .... न तब्बुसम का निशां बाक़ी......
नहीं है ना-उमीद 'इक़बाल' अपनी किश्त-ए-वीराँ से ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी
उस ने जब बोलना न सीखा था उस की हर बात मैं समझती थी अब वो शाएर बना है नाम-ए-ख़ुदा लेकिन अफ़सोस कोई बात उस की मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती
अपनी हिम्मत है कि हम फिर भी जिए जाते हैं ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं

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