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जिंदगी कभी स्ट्रैट लाइन में नहीं होती

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Life is very similar to a boxing ring.  Defeat is not declared when you fall down.  It is declared when you refuse to rise up जितनी ऊपर आपने सोचा  है अपनी   #जिंदगी में जाने का , उतना ही  एक्सपेक्ट करें के आप नीचे भी जा सकते हैं।   जिंदगी में जब आप एक बड़ा काम करने जा रहे होते हैं  तो आप ये मान कर चलें के   cycles  में  आती है जिंदगी।   जिंदगी कभी स्ट्रैट लाइन में नहीं होती।   ये जो cycles  आप के लिए आते हैं ,  बुरा वक़्त आता है ,  setbacks  आते हैं , disappointments   होती हैं ,  ये आपको सीखाने के लिए  भगवान देता  है।   इसका मतलब के आप कोई चीज़ गलत कर रहे हैं ,कोर्स-करेक्शन की जरुरत है।  आप मेहनत  कम कर रहे हैं।  जो इंसान कामयाब होता है ,  उसकी सबसे बड़ी ability  होती है  कि  जब बुरा वक़्त आता है  तो उसको उस बुरे वक़्त को सम्भालना आता है, cope  करना आता है।   बुरा वक़्त जब आता है त...

It’s just a Bend, not the End..!

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Beautiful words Written by Sophia Loren (Actress at 86) " When I got enough confidence, the stage was gone…..  When I was sure of Losing, I won…….  When I needed People the most, they Left me…….  When I learnt to dry my Tears, I found a shoulder to Cry on……  When I mastered the Skill of Hating, Someone started Loving me from the core of the Heart……  And, while waiting for Light for Hours when I fell asleep, the Sun came out…..  That’s LIFE!!  No matter what you Plan, you never know what Life has Planned for you……  Success introduces you to the World…….  But Failure introduces the World to you…….  ……Always be #Happy!!  Often when we lose Hope and think this is the end…  God smiles from above and says,  “Relax Sweetheart; It’s just a Bend, not the End..!"..

युधिष्ठिर को अंतिम शिक्षा

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दूरदर्शन का सबसे चर्चित धरावाहिको में से एक बी. आर. चौपडा की महाभारत  का एक दृश्य जिसमे भीष्म पितामह  बा णों की शय्या पे लेटे हुए है। उसी समय पाण्डव भगवान कृष्ण के साथ वहां उन्हें ये बताने के लिए आते है की हस्तिनापुर अब चारो ओर से सुरक्षित है , क्यूंकि कौरवों का पराजय हो चुकी है और अब उसका   रा जा धर्मराज युधिष्ठिर हैं। उसी समय भगमान श्री कृष्ण पितामह से कहते है की आप युधिष्ठिर को अंतिम शिक्षा दीजिये , तो पितामह युधिष्ठिर से कहते है। हे वत्स  !  वो राजा कभी अपने देश के लिए सही नहीं होता है जो अपने देश के आर्थिक और सामाजिक रोगों के लिए अतीत को उत्तरदायी ठहरा के संतुष्ट हो जाये। यदि अतीत ने तुम्हे एक निर्बल आर्थिक और सामाजिक ढांचा दिया है तो उसे बदलो , उसे सुधारो क्यंकि अतीत तो यूँ भी वर्तमान के कौसौटी पे खड़ा नहीं उतरता है। क्यूंकि अगर अतीत स्वस्थ होता और उसमे देश को प्रगति के मार्ग पे ले जाने की शक्ति होती तो...

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