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देखना उनका कनखियों से

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देखना उनका कनखियों से इधर देखा किये अपनी आह-ए-कम-असर का हम-असर देखा किये लम्हा लम्हा वक़्त का सैलाब चढ़ता ही गया रफ़्ता रफ़्ता डूबता हम अपना घर देखा किये कोई क्या जाने के कैसे हम भरी बरसात में नज़र-ए-आतिश अपने ही दिल का नगर देखा किये सुन के वो 'शहज़ाद' के अशआर सर धुनता रहा थाम कर हम दोनों हाथों से जिगर देखा किये Farhat Sehzaad

मगर कहना उसे

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कोंपलें फिर फूट आईं शाख़ पर कहना उसे वो न समझा है न समझेगा मगर कहना उसे वक़्त का तूफ़ान हर इक शय बहा कर ले गया इतनी तन्हा हो गई है रहगुज़र कहना उसे जा रहा है छोड़ कर तन्हा मुझे जिसके लिये चैन न दे पायेगा वो सीम-ओ-ज़र कहना उसे रिस रहा हो ख़ून दिल से लब मगर हँसते रहे कर गया बरबाद मुझको ये हुनर कहना उसे जिसने ज़ख़्मों से मेरा '#शहज़ाद' सीना भर दिया मुस्करा कर आज प्यारे चारागर कहना उसे Farhat Sehzaad

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