देखना उनका कनखियों से


देखना उनका कनखियों से इधर देखा किये
अपनी आह-ए-कम-असर का हम-असर देखा किये

लम्हा लम्हा वक़्त का सैलाब चढ़ता ही गया
रफ़्ता रफ़्ता डूबता हम अपना घर देखा किये

कोई क्या जाने के कैसे हम भरी बरसात में
नज़र-ए-आतिश अपने ही दिल का नगर देखा किये

सुन के वो 'शहज़ाद' के अशआर सर धुनता रहा
थाम कर हम दोनों हाथों से जिगर देखा किये
Farhat Sehzaad
 

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