बशीरबद्र
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने,
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला...
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है... जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है !!! #बशीरबद्र
. मैं खुद भी ऐहतीयातन उस गली से कम गुजरता हूँ ... कोई मासूम क्यो मेरे लिए #बदनाम हो जाये ... - बशीर बद्र बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी, वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला...
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है... जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है !!! #बशीरबद्र
. मैं खुद भी ऐहतीयातन उस गली से कम गुजरता हूँ ... कोई मासूम क्यो मेरे लिए #बदनाम हो जाये ... - बशीर बद्र बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी, वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला...
बात क्या है के मशहूर लोगों के घर,
मौत का सोग होता है त्यौहार सा...
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे,
इक हम ही ऐसे थे कि हमारा ख़ुदा न था...
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने में
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में
पेश-ए-नज़र थी मंज़िल-ए-जानाँ की जुस्तुजू
और फिर रहा हूँ अपना पता ढूँडता हुआ
"आंखों में जो छुपे है वो राज़ देखते है,
हम उनके देखने का अन्दाज़ देखते है।।
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो ।।
#बशीरबद्र
कहाँ अब वो दुआओं की बरकतें ..वो नसीहतें.. वो हिदायतें....
ये मुतालबों का ख़ुलूस है ...ये ज़रूरतों का सलाम है....!
बहुत दिनों से मैं इन पत्थरों में पत्थर हूँ,
कोई तो आए ज़रा देर को रुलाये मुझे...
खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर,
चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर,
दर्द हीरा है, दर्द मोती है,
दर्द आँखों से मत बहाया कर.
#बशीरबद्र (1/1)
वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ,
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ
#बशीरबद्र
#बशीरबद्र
#बशीरबद्र
नज़र से गुफ्तगू,ख़ामोश लब ,तुम्हारी तरह //
ग़ज़ल ने सीखे है अंदाज़,सब तुम्हारी तरह //
#बशीरबद्र
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे...
#बशीरबद्र
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
#बशीरबद्र
अजीब रात थी कल तुम भी आके लौट गए,
जब आ गए थे तो पल भर ठहर गए होते...
(#बशीरबद्र )
मै एक लम्हे में सदियाँ देखता हूँ
तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है
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