31 जनवरी 2018 तक पूरे देश के गन्ना किसानों का 13931 करोड़ रुपए बकाया है

31 जनवरी 2018 तक पूरे देश के गन्ना किसानों का 13931 करोड़ रुपए बकाया है, जिसे चीनी कारखानों को चुकाना है। सबसे ज्यादा बकाया तो उत्तर प्रदेश के किसानों का है
सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना चाहती है। सरकार इसके लिए प्रयास भी कर रही है। लेकिन जो पुरानी समस्याएं हैं, उनकी ओर सरकारों का ध्यान ही नहीं है। केंद्र और प्रदेश सरकारों को लगता है कि कर्ज माफी से किसानों की दशा सुधर जाएगी। आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि देशभर के गन्ना किसानों का 13 हजार करोड़ रुपए (13 अरब) का भुगतान रुका हुआ है।
उत्तर प्रदेश, रायबरेली के तहसील मीरगंज, गांव करनपुर के गन्ना किसान जबरपाल सिंह (47) बताते हैं "प्रदेश की योगी सरकार में स्थिति में थोड़ा सुधार तो आया है। लेकिन फिर मेरा दो महीने से भुगतान रुका है। भुगतान में देरी होने के कारण अगली फसल में देरी हो जाती है। मैं 27 एकड़ में गन्ना लगाता हूं। लगभग 4 लाख रुपए का भुगतान बकाया है। शुगर मिल से कोई उचित जवाब मिलता ही नहीं।"
महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को 136 शुगर मिलों को नोटिस भेजा है। प्रदेश के इन मिलों ने गन्ना किसानों का 2000 करोड़ रुपए बकाया कर रखा है। थोक बाजार में चीनी कीमतों में गिरावट तथा बिक्री घटने की वजह से ये बकाया बढ़ा है। किसानों की नाराजगी को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने नोटिस जारी किया है।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल महासंघ के अनुसार चीनी के लिए उचित और लाभकारीमूल्य (एफआरपी) फॉर्मूला के तहत यदि प्रत्येक एक टन गन्ने से रिकवरी 9.50 प्रतिशत रहती है तो मिल को गन्ने की 2,000 रुपए प्रति टन कीमत चुकानी होती है। मिलों को यह भुगतान दो या तीन किस्तों में करना होता है। एक बार भुगतान पूरा होने के बाद मई में खातों को बंद कर दिया जाता है। पिछले साल नवंबर से पेराई शुरू करने वाली सहकारी और निजी चीनी मिलों की संख्या 184 थी। जनवरी के मध्य तक मिलों को 480 लाख टन गन्ने की पेराई के लिए 12,813 करोड़ रुपए का भुगतान करना था। जबकि मिलें अब तक सिर्फ 10,755 करोड़ रुपए का भुगतान कर पाई हैं।
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख और महाराष्ट्र के हातकणंगले के सांसद राजू शेट्टी कहते हैं "अगर पैसे का भुगतान जल्द नहीं हुआ तो किसान आंदोलन करेंगे। बाजार पर मिल मालिकों का कब्जा है। वे अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं। पिछले कुछ महीनों में हुई गन्नी खरीदी की जांच भी होनी चाहिए।"
महाराष्ट्र की ये स्थिति तो उदाहरण मात्र है। पूरे देश में गन्ना किसानों का यही हाल है। हर प्रदेश में गन्ना किसानों का चीनी कारखानों ने बड़ी राशि दबा रखी है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने गाँव कनेक्शन को मेल पर जानकारी दी कि 31 जनवरी 2018 तक पूरे देश के गन्ना किसानों का 13931 करोड़ रुपए बकाया है, जिसे चीनी कारखानों को चुकाना है। और सबसे ज्यादा बकाया तो उत्तर प्रदेश के किसानों का है। यहां गन्ना किसानों का 5552 करोड़ रुपए बकाया है, जबकि प्रदेश सरकार ने वादा किया था कि गन्ना किसानों की राशि का भुगतान 15 दिन के अंदर ही कर दिया जाएगा।
मऊ के माहुरभोज के गन्ना किसान शिव नारायण यादव (35) कहते हैं "दो महीने से भुगतान नहीं हुआ है। लगभग दो लाख रुपए रुका हुआ है। अधिकारियों से कहिये तो वे मिल से बार्रत करने के लिए कहते हैं। सरकार को मिलों पर कार्रवाई करनी चाहिए।"
महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के अलावा बात करें तो गन्ना किसानों का कर्नाटक में 2713 करोड़, पंजाब में 433 करोड़, हरियाणा में 416 करोड़, उत्तराखंड में 426 करोड़, मध्य प्रदेश में 266 करोड़, छत्तीसगढ़ में 28 करोड़, गुजरात में 427 करोड़, बिहार में 314 करोड़, आंध्र पेदश में 230 करोड़, तेलंगाना में 102 करोड़, ओडिशा में 49 करोड़ और गोवा में 29 करोड़ रुपए बकाया है। जबकि राजस्थान, पश्चिम बंगाल और पुडूचेरी में कोई बकाया नहीं है।
न्ना विकास एवं चीनी उद्दोग विभाग के अपर आयुक्त, क्रय वीके शुक्ला कहते हैं "इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन पता नहीं कैसे 5500 करोड़ रुपए बकाया बता रहा है। उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का फिलहाल2749 करोड़ रुपए बकाया है। चीनी मिलों को इसके लिए नोटिस भेजा जा रहा है। अभी 23 कारखानों को नोटिस दिया गया है। बागपत की मिल को आरसी जारी कर दिया गया है। सरकार सख्त है, अगर मिलों ने जल्द ही भुगतान नहीं किया तो आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।
इस सीजन में चीनी की कीमतों में अभी तक 15 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। इस साल चीनी का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा करीब 30 फीसदी अधिक हुआ है। देश में इस साल करीब 2.5 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले 2.03 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उत्तर प्रदेश में 12 जनवरी तक चीनी का उत्पादन 41.73 लाख टन हो चुका है जबकि पिछले साल इस अवधि तक यहां उत्पादन 33.26 लाख टन हुआ था।
2015-16 के अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, क्योंकि यह अनुमानित 145.39 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन करता है, जो अखिल भारतीय उत्पादन का 41.28 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल 2.17 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में बोई जाती है, जो कि अखिल भारतीय गन्ने की खेती का 43.79 प्रतिशत हिस्सा है। महाराष्ट्र 2015-16 में गन्ने के 72.26 मिलियन टन अनुमानित उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है, जो कि अखिल भारतीय गन्ना उत्पादन का 20.52 प्रतिशत है। महाराष्ट्र की कृषि भूमि का क्षेत्रफल जहां गन्ने की कुल बुवाई 0.99 मिलियन हेक्टेयर पर की जाती है वह मोटे तौर पर काली मिट्टी से युक्त क्षेत्र है।
2015 को उपभोक्ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की सूचना के अनुसार चीनी सत्र 2013-14 में 513 मिलें कार्यरत थीं। ये सभी मिलें निजी, सार्वजनिक एवं सहकारिता क्षेत्रों की हैं। सूचना के अनुसार सर्वाधिक मिलें 159 महाराष्ट्र में हैं। महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश में 119 और कर्नाटक में 61 मिलें सक्रिय हैं। देश में सर्वाधिक 288 मिलें निजी क्षेत्र की, 214 मिलें सहकारिता क्षेत्र की और 11 मिलें सार्वजनिक क्षेत्र की हैं।

Comments

Popular Posts

Doordarshan Era Newsreaders and Anchors

मशहूर अमरूद की ललित किस्म अब अरुणाचल प्रदेश के किसानों की अामदनी बढ़ाएगी,

जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं -अमीर क़ज़लबाश

अमीर क़ज़लबाश 1943-2003दिल्ली

बशीरबद्र

हर शाम एक मसअला घर भर के वास्ते -अमीर क़ज़लबाश

लहू में भीगे तमाम मौसम गवाही देंगे कि तुम खडे थे !

नया हरियाणा कैसे बने (भाग-3 )

SHARE YOUR VIEWS

Name

Email *

Message *