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हम क्यूँ  चलें उस राह पर जिस पर हर कोई चला ; क्यूँ  न चुने वो रास्ता जिस पर नहीं कोई गया । 

क्यूँ ठहर जाऊँ कहीं.... ज़माने लगे हैं ख़ुद को बदलने में ...neelam chaudhary

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कुछ भूल गई.... कुछ भूला दिया, कुछ छूट गया.... कुछ छोड़ दिया ; क्यूँ  ठहर जाऊँ कहीं.... ज़माने लगे हैं ख़ुद को बदलने में ... kuch bhul gai kuch bhula diya kuch chut gaya kuch chod diya kayun tahar jaoon kanhi zamaney lagey hein khud ko badleney mein

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