साहिर लुधियानवी
"हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं " हिंदू ना मुसलमान है इश्क़ इश्क़ आज़ाद है आप ही धर्म है और आप ही ईमान है इश्क़ माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके कुछ ख़ार कम तो कर गए गुज़रे जिधर से हम संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है इक #धुँध से आना है इक #धुँध में जाना है ये राह कहाँ से है ये राह कहाँ तक है ये राज़ कोई राही समझा है न जाना है हम लोग खिलौना हैं इक ऐसे खिलाड़ी का जिस को अभी सदियों तक ये खेल रचाना है इक धुँध से आना है इक धुँध में जाना है # साहिरलुधियानवी वो सुबह कभी तो आयेगी बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर, ये भूख के और बेकारी के टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर, दौलत की इजारादारी के सुबह कभी तो आयेगी इन काली सदियों के सर से, जब रात का आंचल ढलकेगा जब दुख के बादल पिघलेंगे, जब सुख का सागर छलकेगा कौन रोता है किसी और की ख़ातिर, ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कब आयेंगे तुमसे बेहतर कहने वाले.. हमसे बेहतर सुनने वाले। ख़त्म करो तहज़ीब की बात, बन्द करो कल्चर का शोर। सत्य, अहिंसा सब बकवास, तुम भी क़ातिल हम भी चोर। इस रें...