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इफ़्तिख़ार आरिफ़ की नज़्में तमाशा ख़त्म होगा

  बिखर जाएँगे हम क्या जब तमाशा ख़त्म होगा  मिरे मा'बूद आख़िर कब तमाशा ख़त्म होगा  चराग़-ए-हुज्रा-ए-दर्वेश की बुझती हुई लौ  हवा से कह गई है अब तमाशा ख़त्म होगा  कहानी में नए किरदार शामिल हो गए हैं  नहीं मा'लूम अब किस ढब तमाशा ख़त्म होगा  कहानी आप उलझी है कि उलझाई गई है  ये उक़्दा तब खुलेगा जब तमाशा ख़त्म होगा  ज़मीं जब अद्ल से भर जाएगी नूरुन-अला-नूर  ब-नाम-ए-मस्लक-ओ-मज़हब तमाशा ख़त्म होगा  ये सब कठ-पुतलियाँ रक़्साँ रहेंगी रात की रात  सहर से पहले पहले सब तमाशा ख़त्म होगा  तमाशा करने वालों को ख़बर दी जा चुकी है  कि पर्दा कब गिरेगा कब तमाशा ख़त्म होगा  दिल-ए-ना-मुतमइन ऐसा भी क्या मायूस रहना  जो ख़ल्क़ उट्ठी तो सब कर्तब तमाशा ख़त्म होगा 

हम ख़्वाबों के ब्योपारी थे... अहमद फ़राज़

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  हम ख़्वाबों के ब्योपारी थे  पर इस में हुआ नुक़सान बड़ा  कुछ बख़्त में ढेरों कालक थी  कुछ अब के ग़ज़ब का काल पड़ा  हम राख लिए हैं झोली में  और सर पे है साहूकार खड़ा  याँ बूँद नहीं है डेवे में  वो बाज-ब्याज की बात करे  हम बाँझ ज़मीन को तकते हैं  वो ढोर अनाज की बात करे  हम कुछ दिन की मोहलत माँगें  वो आज ही आज की बात करे  जब धरती सहरा सहरा थी  हम दरिया दरिया रोए थे  जब हाथ की रेखाएँ चुप थीं  और सुर संगीत में सोए थे  तब हम ने जीवन-खेती में  कुछ ख़्वाब अनोखे बोए थे  कुछ ख़्वाब सजल मुस्कानों के  कुछ बोल कबत दीवानों के  कुछ लफ़्ज़ जिन्हें मअनी न मिले  कुछ गीत शिकस्ता-जानों के  कुछ नीर वफ़ा की शम्ओं के  कुछ पर पागल परवानों के  पर अपनी घायल आँखों से  ख़ुश हो के लहू छिड़काया था  माटी में मास की खाद भरी  और नस नस को ज़ख़माया था  और भूल गए पिछली रुत में  क्या खोया था क्या पाया था  हर बार गगन ने वहम दिया  अब के बरखा जब आएगी  हर बीज से क...

Achha ji main hari chalo maan jao na [Colorized] | Kala Pani (1958)

Performers : Madhubala & Dev Anand Music : SD Burman Vocals : Asha Bhosle and Mohammed Rafi Lyrics : Majrooh Sultanpuri  https://www.youtube.com/watch?v=ZN_XrB_St-8

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