CM पद की दावेदारी में बिखरा विपक्ष ?



कर्नाटक चुनाव के दौरान देश के 17 स्वयं घोषित(self-proclaimed) #प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार एक मंच पर फोटोशूट करवाते दिखे। आज हमारे हरियाणा में भी ऐसे ही 10 से अधिक  स्वयं घोषित (self-proclaimed) मुख्यमंत्री  पद के उम्मीदवार हो चुके हैं।  इस लिस्ट को बढ़ाने का काम अब भी जारी है। इनेलो बंटवारे की राह पर है।सत्ता के लिये विधायकों को अपणी तरफ़ लाने के लिये कोशिशों के बारे में तो बहुत सुना था ,परन्तु  "विपक्ष" में बने रहने के लिए , कोई पार्टी  अपने विधायकों को



लुभाने पर लगी हो  ऐसा पहली बार सुन रहे हैं । कांग्रेस का अभी तक बंटवारा तो नहीं हुआ ,पर अंदरूनी खाते बारूद के ढेर पर हैं।इन पार्टीज और नेताओं ने खुद ही ,अपने-अपने  अस्तित्व को खात्मे के कगार पर ला दिया है।  ख़बरों में बने रहने के लिए रोज़ नये-नए तरीके इज़ाद किये जा रहे हैं।  इसके लिए चाहे विधानसभा में जूतम-पैजार हो या सड़क पर रेलम-पेल कुछ और नहीं  तो चाहे पार्टी को अपने ही घर में ही जूत-बजाणा पड़े ,पर अपने कार्यकर्ताओं के नज़रों में अपना वज़ूद बना के रखते हैं। पर क्या उनकी ये आणियाँ-जाणियाँ  प्रदेश की जनता नहीं देख रही है ?


समझदारी अनुभव से आती है न कि उम्र से या किसी  बड़े नेता के परिवार से होने से। 



 आज ज्यादातर political parties  परिवारवाद पर आधारित हैं। सत्ता का मोह , वो भी शीर्ष कुर्सी को पाना हमारे नेताओं  को किसी भी हद तक ले जाता है। आज़ादी के बाद राजे-महाराजे  चले गए , परन्तु हमारा दुर्भाग्य के, राजनीति में  नये राज-परिवार पैदा हो गये। आज उन पर दूसरी, तीसरी या चौथी पीढ़ी का कब्ज़ा है।  आज इनमें से कौन अपने Founder Father  की legacy संभाल पाने  के लायक है ? 



जब आपकी पहचान केवल परिवार की वजह से हो तो  न तो संघर्ष के मायने पता होते हैं और न ही बदलते समाज के parameters का आभास होता है। ऐसे नेता जनता को भीड़ से ज्यादा कुछ नहीं समझते ।  सत्ता-सुख में पले बढ़े ये राजकुमार क्या जाने जीवन-संघर्ष क्या होता है। जनता से जुड़े मुद्दे इनको लिखकर दिए जाते है। आज का राजनीतिक-परिप्रेक्ष्य बदल चुका  है। जनता को वो नेता चाहिए जो मिट्टी से जुड़े हों और वर्तमान समय की जरूरतों को और आधुनिक टेक्नोलॉजी का थोड़ा बहुत ज्ञान रखते हों। ताकि किसी भी समस्या को हल करने में,कम से कम समय  लगे तथा  बेहतर निर्णय लिया जा सके।   सच्चा नेता वही है जो किसी परिवार के जी-हज़ूरी या फ़रमादारी  किये बगैर अपने गुणों और अनुभव के आधार पर देश -प्रदेश की जनता की सेवा करता है। 

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