बंदगी हमने छोड़ दी है ‘फ़राज़’; क्या करें लोग जब खुदा हो जाएं।
इस से पहले के बे-वफ़ा हो जाएं;
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएं;
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएं;
तु भी हीरे से बन जाए पत्थर;
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएं;
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएं;
इश्क़ भी खेल है नसीबों का;
ख़ाक हो जाएं कीमिया हो जाएं;
ख़ाक हो जाएं कीमिया हो जाएं;
अबके गर तु मिले तो हम तुझसे;
ऐसे लिपटे कि तेरी क़बा हो जाएं;
ऐसे लिपटे कि तेरी क़बा हो जाएं;
बंदगी हमने छोड़ दी है ‘फ़राज़’;
क्या करें लोग जब खुदा हो जाएं।
क्या करें लोग जब खुदा हो जाएं।
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