रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मुहब्बत[1] का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम[2] न सही फिर भी
कभी तो रस्मे-रहे-दुनिया[3] ही निभाने के लिए आ
किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फा है तो ज़माने के लिए आ
इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरिया[4] से भी महरूम
[5] ऐ राहत-ऐ-जाँ[6] मुझको रुलाने के लिए आ
अब तक दिल-ऐ-ख़ुशफ़हम[7] को तुझ से है उम्मीदें
ये आखिरी शम्अ भी बुझाने के लिए आ
शब्दार्थ ऊपर जायें ↑ प्रेम के गर्व ऊपर जायें ↑ प्रेम व्यवहार ऊपर जायें ↑ सांसारिक शिष्टाचार ऊपर जायें ↑ रोने के स्वाद ऊपर जायें ↑ वंचित ऊपर जायें ↑ प्राणाधार ऊपर जायें ↑ किसी की ओर से अच्छा विचार रखने वाला मन
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मुहब्बत[1] का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम[2] न सही फिर भी
कभी तो रस्मे-रहे-दुनिया[3] ही निभाने के लिए आ
किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फा है तो ज़माने के लिए आ
इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरिया[4] से भी महरूम
[5] ऐ राहत-ऐ-जाँ[6] मुझको रुलाने के लिए आ
अब तक दिल-ऐ-ख़ुशफ़हम[7] को तुझ से है उम्मीदें
ये आखिरी शम्अ भी बुझाने के लिए आ
शब्दार्थ ऊपर जायें ↑ प्रेम के गर्व ऊपर जायें ↑ प्रेम व्यवहार ऊपर जायें ↑ सांसारिक शिष्टाचार ऊपर जायें ↑ रोने के स्वाद ऊपर जायें ↑ वंचित ऊपर जायें ↑ प्राणाधार ऊपर जायें ↑ किसी की ओर से अच्छा विचार रखने वाला मन
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