टूटते रिश्ते
टूटते रिश्ते by- Adv.Neelam Chaudhary कहतें हैं प्रेम अँधा होता है और विवाह आँखे खोलता है। आधुनिक जोड़े आज भी बिना एक दूसरे की अच्छी तरह जाने विवाह जैसा निर्णय जल्दबाज़ी में ले लेते हैं। फिर होता क्या है कि कुछ ही समय में ही अलग रहने का रास्ता तलाशने लगते हैं। स्त्रियां आज अधिक पढ़ी लिखी हैं , अधिक आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हैं। तो विवाह की सफलता अधिकतर इस बात पर निर्भर करती हे कि एक दूसरे को, उनके माता -पिता को ,एक दूसरे की आदतों को ,जॉब्स को कौन कितना और कब तक बदार्शत कर स कता है। स्त्रियां भी मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठाने का होंसला रखती हैं और यदि अलग रहने की नौबत आये भी तो घबराती नही। विवाह और तलाक़ आज दोनों ही आम सी बात हैं। एक सुखद विवाह किसी भी जोड़े की मानसिक और शारीरिक सेहत को भी बनाए रखता है। बढ़ते बच्चों के लिये भी खुश परिवार उन्हे मानसिक,शारीरिक , शिक्षा और सामाजिक समस्याओं से बचाता है। अलग रहना या तलाक़ लेना भावनात्मक रूप से तकलीफ़ देह होता है ,फिर भी सम्बन्ध विछेद को एक सकारातमक तरीके से लेना चाहिए। अपने कम्युनिकेशन को बनाये रखें और बच्चों को जीवन की व...