सरकारी बिजली कंपनियां डूबने के कगार पर
-केंद्रीय बिजली मंत्री ने लिखा हरियाणा के सीएम को पत्र
-हरियाणा में गत वर्ष 11912 मिलियन यूनिट बिजली चोरी हुई है
-उदय योजना लागू होने के बाद भी बिजली वितरण कंपनी व्यवहार्य नहीं हो सकती
-हालांकि, इस वर्ष लाइन लॉस थोड़ा घटा है, लेकिन आर.के.सिंह के इस पत्र के बाद बिजली कंपनियों में हड़कंप मचा हुआ है
चंडीगढ़। केंद्रीय बिजली राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर.के सिंह के एक पत्र से राज्यों की बिजली कंपनियों में हड़कंप मचा हुआ है। हरियाणा में चुंकि बिजली मंत्रालय का कार्यभार स्वयं मुख्यमंत्री देख रहे हैं तो यह पत्र उन्होंने सीएम को ही लिख कर कहा है कि इनपुट एनेर्जी और बिल्ड एनेर्जी में 20 प्रतिशत से अधिक का अंतर है, ऐसी स्थिति में कोई भी वितरण कंपनी व्यवाहर्य नहीं हो सकती। उन्होंने खुलकर लिखा है कि उदय स्कीम लागू होने के बाद भी इन कंपनियों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
आर.के.सिंह ने यह पत्र 27 दिसंबर को लिखा था जो अब हरियाणा सरकार को मिल चुका है। उसमें उन्होंने कहा है कि उदय योजना के अंतर्गत विद्युत वितरण कंपनियों के एकत्रित घाटे को टेक ओवर कर लिया गया जिसके फलस्वरूप इन कंपनियों के ऊपर ब्याज का बोझ और घाटा कम हो गया। लेकिन, हानियां इसी तरह चलती रही तो कंपनियों की स्थिति पुन: नाजुक हो जाएगी।
केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने आंकड़ों के साथ हरियाणा को यह चिट्ठी लिखी है जिसमें बताया गया है कि
YEAR
|
इनपुट एनेर्जी मिलियन यूनिट
(एमयू)
|
बिल्ड एनेर्जी मिलियन यूनिट
(एमयू)
|
बिजली चोरी मिलियन यूनिट
(एमयू)
|
प्रतिशत लॉस मिलियन यूनिट
(एमयू)
|
2013-14
|
47524
|
34564
|
12960
|
27.27
|
2014-15
|
51107
|
37131
|
13976
|
27.35
|
2015-16
|
50900
|
36586
|
14314
|
28.12
|
2016-17
|
45905
|
33993
|
11912
|
25.94
|
2016-17 यानि गत वर्ष 45905 एमयू इनपुट एनेर्जी और बिल्ड एनेर्जी 33993 एमयू और अंतर 11912 एमयू का रहा है और लॉस पहले से घटा है और जो अब 25.94 है।
उल्लेखनीय है कि मार्च 2016 में हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार की उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस स्कीम (उदय) के तहत बिजली कंपनियों पर जो 34600 करोड़ रुपए का कर्ज था , उसका 75 प्रतिशत हिस्सा 25950 करोड़ रुपए सरकार ने टेकआवर कर लिए थे। इससे जहां बिजली कंपनियों को यह ऋण 12 से 13 प्रतिशत पर मिला हुआ था तो सरकार के टेक आवर करने से यह कर्ज करीब 8 प्रतिशत की ब्याज दर से मिल गया।
उसके बाद अब भी इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। यह बात भी सही है कि पूर्व में ही इन बिजली कंपनियों की आर्थिक हालात बेहद चिंताजनक हो चुके थे। आर.के.सिंह ने अपने पत्र में क्लीयर लिख दिया है कि वित्तीय घाटा वास्तविक हानि को प्रदर्शित नहीं करता, चूँकि टैरिफ बढ़ाकर वित्तीय घाटे को कम कर लिया जाता है। लेकिन, यह व्यवस्था उपयुक्त नहीं है, चूंकि इस व्यवस्था से नियमित रूप से अपने बिजली बिल का भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं पर विद्युत वितरण कंपनियों की अक्षमता और विद्युत की चोरी का सारा बोझ लाद दिया जाता है।
केंद्रीय बिजली मंत्री ने कई स्कीमों का भी जिक्र किया है जिससे ट्रांसमिशन एडं डिस्ट्रिब्यूशन को मजबूत करने हेतु राज्यों को राशि मुहैया कराई जाती है। लेकिन, हानियां जारी रहीं तो विद्युत वितरण कपंनयिों को ट्रांसमिशन एडं डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के रखरखाव हेतु संसाधन नहीं उपलब्ध रहेगी और पुन: उनकी व्यवस्था क्षत-विक्षत होने लग जाएगी।
लॉसिस कम नहीं होने की स्थिति में इनवेसटमेंट निरर्थक होंगे।
अंत में उन्होंने कहा है कि 2019 में हर हाल में 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की योजना है। यदि विद्युत वितरण कंपनियां उससे पूर्व अपनी व्यवस्था सुधार नहीं लेते तो अधिक सप्लाई के साथ-साथ हानि भी अधिक होगी। आज के दिन भी हरियाणा की पावर यूटिलिटी पर 33009 करोड़ 85 लाख का कर्ज सिर पर है।
हांलाकि, देश में सबसे अधिक बिजली वितरण कपंनयिों की हालत जम्मू कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, वेस्टबंगाल, राजस्थान, मिंजौरम, मनीपुर में है। उसके बाद हरियाणा का नंबर आता है। इसके बाद मध्यप्रदेश, मेघालय, झारखंड, नागालैंड, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और गोआ का नंबर आता है। वैसे हरियाणा के लिए यह सुखद बात है कि पहले से लाइन लॉस और घाटे कम हुए हैं, लेकिन, आर.के.सिंह की इस चिट्ठी के बाद बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारियों को इस भयंकर सर्दी में पसीना आया हुआ है।
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