दादूपुर नलवी और मिनी हाइड्रो प्रोजेक्ट बने जी का जंजाल

दादूपुर नलवी और मिनी हाइड्रो प्रोजेक्ट बने जी का जंजाल
इस समय हरियाणा की राजनीति में दो बड़े मामले चर्चा का विषय बने हुए है - दादूपुर नलवी और कौशल्या डेम
दादूपुर नलवी नहर का जब 2007 से 2009 के बीच निर्माण हुआ तो उस समय 25 प्रतिशत मिट्टी तो नहर के निर्माण में काम आ गई बाकी 75 प्रतिशत मिट्टी कहां गई?
इस मामले पर अब सरकार के स्तर पर जांच हो सकती है, सरकार वैसे ही इस नहर का डिनोटिफाई करके विपक्ष के निशाने पर आई हुई है, लेकिन मिट्टी चोरी की जांच करके एक तरह से विपक्ष को कमजोर कर सकती है।
हांलाकि यह बात सही है कि पूर्व सरकार के दौरान ही सिरसा का ओटूवीयर झील घोटाला हुआ था जिसमें सिंचाई विभाग के 32 इंजीनियर सस्पेंड हुए थे, हांलाकि इस नहर की भी मिट्टी बताते हैं कि हाइवे का निर्माण करने वाली कंपनियों को बेची गई है, इसमें दो कांग्रेस के नेताओं के नाम भी आ रहे हैं, जिन्होंने यहां अपने डंपर लगाए हुए थे।
किंतु,बड़ी बात यह है कि यदि दादूपुर नलवी नहर की मिट्टी चोरी की जांच होती है तो दूसरी नहरों की मिट्टी भी जरूर बेची गई होगी। सिंचाई विभाग के अधिकारी परेशान है कि आखिर मिट्टी चोरी की बात कहां से लिक हुई?
लेकिन विधानसभा के सत्र से पहले ही सिंचाई विभाग के अधिकारियों को डर लग रहा है, क्योंकि यह मामला विधानसभा में भी उठ सकता है। उधर, दादूपुर नलवी नहर की जमीन का डिनोटिफाई करने के मामले में सरकार विपक्ष के निशाने पर आई हुई है।
इसके अलावा कौशल्या डेम जिसे सफेद हाथी कहते हैं कि लेकिन हरेडा को यहां से बिजली पैदा होने की उम्मीद है।
बरसाती नाले के पानी पर सरकार मिनी हाइड्रो प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है।
अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि जो जमीन 35 साल के लिए लीज पर दी गई, उसके लिए नगर निगम पंचकूला के हाउस से कोई मंजूरी नहीं ली हुई है, हाउस ने इस जमीन को लीज पर देने से इंकार किया हुआ है। फिर यह जमीन कैसे एक परिवार के सदस्यों को 35 साल के लिए मिनी हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने के लिए दे दी गई, यह बड़ा सवाल है।
हांलाकि, एचईआरसी के 5 सितंबर के आॅर्डर के मुताबिक एचईआरसी के चेयरमैन ने यह प्रोजेक्ट रिजेक्ट नहीं किए हैं, उन्होंने अपने आर्डर में यह सवाल किए हैं कि
• यदि यह प्रोजेक्ट नहीं चलेगा तो क्या सब्सिडी वापस होगी?
• जब यह प्रोजेक्ट लगाने जा रहे थे तो इसका बिज्ञापन क्यों नहीं दिया?
• एचईआरसी के दो सदस्यों को इतनी क्या जल्दी थी कि डिस्कॉम से जवाब आने से पहले ही आर्डर पर साइन कर दिए?
• यह सभी को पता है कि ये मिनी हाइड्रो प्रोजेक्ट एक व्यक्ति के हैं, उस द्वारा दिए हुए कई पते भी फर्जी मिले हैं, जब प्रोजेक्ट के लगने से पहले विवादों में घिर गया।

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