सिंचाई महकमें-जमकर लूटो और फिर बच निकलो

जमकर लूटो और फिर बच निकलो

-हरियाणा के सिंचाई विभाग में जमकर लूट मचाओ और फिर बच निकलो, क्योंकि कार्रवाई किसी पर होनी ही नहीं है। जी हां, सालों से इस महकमें में यही होता आ रहा है। यहां पर जांच पर जांच का खेल चलता रहता है।

  • सिंचाई महकमें में पूर्व सरकार के दौरान सिरसा का ओटूवीयर झील घोटाला हुआ था, जिसमें करीब 100 करोड़ का करप्शन था। हैरानी की बात यह है कि पूर्व सरकार ने इस भ्रष्टाचार  में 32 इंजीनियरों को सस्पेंड किया और फिर जाते-जाते सभी  इंजीनियरों को बहाल भी  कर गई और उनको क्लीन चिट भी  दे गई। 
  • इसके अलावा पूर्व सरकार में ही हथनी कुंड बैराज घोटाला हुआ, पूर्व सरकार के समय में हथनी कुंड बैराज मरम्मत के लिए 2010 में 40 करोड़ रुपए के काम अलॉट हुए थे, लेकिन जब 17 करोड़ के काम पूरे हो चुके थे तो पता चला कि हथनी कुंड बैराज मरम्मत के लिए सीमेंट की जगह रेत से यमुना के किनारे पक्के किए जा रहे हैं। सिंचाई विभाग की विजिलेंस ने अपनी जांच में पाया कि यहां तो सारा ही गोलमाल हो रहा है। श्रीराम लैब में भेजकर सैंपल जांच करवाए तो 90 प्रतिशत से अधिक सैंपल फेल पाए। इस मामले में आरोपी इंजीनियर बहुत प्रभावशाली थे और उनको राजनीतिक सरक्षंण मिला हुआ था तो उन्होंने इस केस की दोबारा स्टेट विजिलेंस से जांच करवा दी फिर उसमें पाया गया कि सारे सैंपल ठीक हैं। जबकि सिंचाई विभाग की विजिलेंस ने पाया था कि इस मामले में 3 करोड़ 36 लाख रुपए की तो सिमेंट ही कम लगी है। लेकिन जब प्रदेश में मनोहर लाल सरकार आई तो इसने इस केस की जांच सेवानिवृत सैशन जज भसीन को सौंपी, उन्होंने भी  इस मामले में इंजीनियरों को दोषी पाया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी  तक सैशन जज भसीन की रिपोर्ट को भी  यहां लागू नहीं किया गया है।
  •  इसके अलावा कौशल्या डेम घोटाला हुआ जिसमें स्टेट विजिलेंस अपनी रिपोर्ट में मानती है कि 155 करोड़ रुपए की बर्बादी हुई है। यह डैम सफेद हाथी है, लेकिन इस मामले में भी  अब तक कुछ नहीं हुआ है। 
  • दादूपुर नलवी नहर जिसको लेकर विपक्ष हमलावार हो रहा है। यह नहर पूर्व सरकार के समय में ही बनी, हैरानी की बात यह है कि 24 प्रतिशत मिट्टी तो नहर बनाने के काम में आई, बाकी 76 प्रतिशत मिट्टी कहां गई?  हालांकि इस सरकार ने इस केस की विजिलेंस जांच के आदेश दिए हुए हैं, लेकिन अभी  तक इस मामले में कार्रवाई कुछ नहीं हुई है। 
  • वहीं, हमीदा रेगुलेटर का 2008 में पुल गिरा, उस मामले में भी  कोई कार्रवाई नहीं हुई। 
  • अब सूक्ष्म सिंचाई नीति में बगैर पानी के 3 जगह फव्वारे चलवा दिए और अब यहां पर पानी का प्रबंध करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च होंगे। 
                 कहने का भावार्थ यह है कि सिंचाई महकमा ऐसा विभाग हो गया है यहां जमकर करप्शन करो और फिर आराम से बच निकलो।
(Pardeep Malik)

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