हरियाणा के गावों की गलियों में आईएसआई मार्का ही टाइलें का सच क्या है ?

हरियाणा के गावों की गलियों में आईएसआई मार्का ही टाइलें का सच क्या है ?
एक जनवरी से आईएसआई मार्का ही टाइलें लगेंगी लेकिन पहले बगैर आईएसआई ही चल रही हैं। गांवों की गलियां पक्की करने के लिए टाइलें और पेवर ब्लॉक के मामले में पंचायत विभाग का हैरतगेंज फैसलाबी लिया गया।
पंचायत विभाग का यह नोटिफिकेशन 7 जून को जारी हो गया था। हांलाकि सरकार ने आईएसआई मार्का की टाइलें और पेवर ब्लॉक लगाने का फैसला तो ठीक लिया है, लेकिन यह फैसला एक जनवरी 2018 से ही क्यों लागू किया जा रहा है, पहले से क्यों नहीं? जबकि पंचायतों को वित्तीय शक्तियां भी अधिक दी गई हैं , अब पंचायतें 10 लाख की बजाए 20 लाख तक के कार्य करवा सकेंगी।
प्रभाव -
1. पंचायत विभाग से जुड़े रहे पूर्व इंजीनियरों के मुताबिक क्वालिटी से कभी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
2. जो व्यक्ति टाइलें और पेवर ब्लॉक बना रहा है, उसके यहां कोई क्वालिटी चैकिंग सिस्टम होना चाहिए । उसकी कीमत का भी ध्यान रखना जरूरी है।
3. 1 जनवरी 2018 से हर हाल में टाइलें और पेवर ब्लॉक की क्वालिटी से किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
4. जिन मैन्यूफेक्चरर के पास आईएसआई प्रमाण पत्र नहीं होगा उनकी टाइलें और पेवर ब्लॉक हरगिज नहीं खरीदे जाएंगे।
हैरतगेंज फैसला ???
1. एक जनवरी से पहले-पहले बगैर आईएसआई मार्का की कोई टाइलें और पेवर ब्लॉक बनाता है तो वह अपना माल आसानी से बेच सकता है।
2. पंचायत विभाग में काम करने वाले कांट्रेक्टर को इस बात की स्पेशल इंस्ट्रक्शन होती हैं कि जब टाइलें और पेवर ब्लॉक खरीदने हैं तो चुनिंदा ठेकेदारों से ही से खरीदें।।
3. पंचायत विभाग के आला अधिकारी दबी जुबान में यह बात स्वीकार करते हैं कि गांव में काफी सरपंचों ने अपनी टाइलें और पेवर ब्लॉक की छोटी-छोटी फैक्ट्रियां लगाई हुई हैं।
4. कुछ सरपंच नेता और विधायक भी इस ठेकेदारी में अपना हाथ आजमा रहे हैं.
5. फैसला तत्काल भी लागू किया जा सकता था , 7 जून से 31 दिसंबर तक की छूट देना यह समझ से परे है.
6. पूर्व इंजीनियरों का कहना है कि क्या तो सरकार उनका बचा हुआ माल निकलवाना चाहती है इसलिए उनको पूरा समय दे रही है ।
7. आईएसआई सेर्टिफिकेट हासिल करने में जो छोटे मैन्यूफेक्चरर हैं उनको भारी नुकसान होगा, बाकी बड़े मैन्यूफेक्चरर कहीं न कहीं से इस सेर्टिफिकेट को हासिल कर ही लेंगे।
डाटा -
हरियाणा में गांवों के विकास के लिए सालाना करीब 1500 करोड़ रुपए
 1. 300 करोड़ रुपए सालाना एचआरडीएफ देती है,
2. 800 करोड़ रुपए सरकार बजट में पंचायतों के लिए अलग से प्रावधान करती है।
3. 400 करोड़ रुपए पंचायतों को लीज मनी मिलती है।

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