राजपूत समाज हर हाल में चाहता है कि पद्मावती फिल्म
राजपूत समाज हर हाल में चाहता है कि पद्मावती फिल्म देश की किसी भी स्क्रीन पर ना दिखे। बात सही भी लगती है क्योंकि अगर किसी चलचित्र, नाटक, पुस्तक या वाक्य से किसी की भावनाएं आहत होती हैं तो उससे बचना भी चाहिए। यहां तककि जयपुर में तो एक शख्स ने इस फिल्म के विरोध में खुद को फांसी लगाकर जान भी दे दी।
ये विरोध लगातार बढ़ भी रहा है। राजपूत समाज का कहना है कि रानी पद्मावती का घूमर नृत्य दिखाया जाना उनके समाज की अस्मिता के साथ खिलवाड़ है। यहां विरोध करने वालों में ज्यादातर लोग तीस साल से कम उम्र के हैं। आप सोच रहे होंगे किसी चीज के विरोध और उम्र का क्या संबंध हो सकता है। जी हां रानी पद्मावती का इतिहास तो सदियों पुराना है लेकिन शायद ये विरोध करने वाले 30-32 साल पहले तक का इतिहास नहीं जानते। उन्हें ये भी पता होना चाहिए संजय लीला भंसाली को पद्मावती फिल्म को लेकर आइडिया कहां से आया होगा। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1946 में एक पुस्तक लिखी डिस्कवरी ऑफ इंडिया यानि भारत एक खोज। इसमें भारत वर्ष के तमाम गौरवमय इतिहास की जानकारी है। 1988 में इसी पुस्तक पर आधारित एक टीवी सीरियल भी बना था। इस सीरियल के 26वें ऐपीसोड में रानी पद्मावती की शौर्य और वीरता की कहानी दिखाई गई है। इसमें साफ-साफ दिखाया गया है कि किस तरह आलाउद्दीन खिलजी रानी को झरोखे से देखता है, और हां जिस घूमर नृत्य पर इतने दिनों से विरोध चल रहा है वो घूमर भी इसी कड़ी में दिखाया गया है।
हैरान करने वाली एक बात ये है कि संजय लीला भंसाली उस वक्त भी पद्मावती के फिल्मांकन से जुड़े हुए थे। वो उस समय अपना डिप्लोमा पूरा करके आये थे और वीडियो एडिटर के तौर पर इंडस्ट्री में अपना सफर शुरू किया था। ऐपीसोड़ खत्म होने के बाद जब क्रैडिट रोल चलते हैं तो वीडियो एडिटिंग साफ साफ नाम आता है संजय भंसाली।
, लीला उनकी माता का नाम था और उनके देहांत के बाद वो अपनी माता का नाम अपने नाम के साथ जोड़कर लिखने लगे।
अब यहां खड़े हो रहे हैं सवाल
1- करीब 30 साल पहले जो इतिहास पूरा देश देख चुका है तो उस समय विरोध क्यों नहीं किया गया
2- 1946 में जवाहरलाल नेहरू अपनी पुस्तक में इसका जिक्र कर चुके हैं तो क्या विरोध करने वाले इतिहास नहीं जानते या पढ़ते नहीं हैं
3- कहीं ये विरोध गुजरात चुनाव की वजह से तो नहीं
4- पता लगाया जाये विरोध करने वाले कहीं किसी पार्टी विषेश के संबंध तो नहीं रखते
5- पद्मावती का लगातार विरोध खबरें बनाता रहा और मीडिया का ध्यान गुजरात के मुद्दों के बजाये फिल्म पर लगा रहा
6- कहीं किसी दल ने राजस्थान से लगते गुजरात में राजपूतों के वोट हासिल करने के लिए तो ये मुद्दा नहीं बनाया
खैर ये तो सिर्फ सवाल हैं इनका जवाब तो जनता को अपने विवेक से देना है लेकिन विरोध करने वालों से मेरा ये ही अनुरोध है कि कृपा इतिहास भी पढ़ लिया करें ये एक अच्छा विषय होता है।
ये विरोध लगातार बढ़ भी रहा है। राजपूत समाज का कहना है कि रानी पद्मावती का घूमर नृत्य दिखाया जाना उनके समाज की अस्मिता के साथ खिलवाड़ है। यहां विरोध करने वालों में ज्यादातर लोग तीस साल से कम उम्र के हैं। आप सोच रहे होंगे किसी चीज के विरोध और उम्र का क्या संबंध हो सकता है। जी हां रानी पद्मावती का इतिहास तो सदियों पुराना है लेकिन शायद ये विरोध करने वाले 30-32 साल पहले तक का इतिहास नहीं जानते। उन्हें ये भी पता होना चाहिए संजय लीला भंसाली को पद्मावती फिल्म को लेकर आइडिया कहां से आया होगा। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1946 में एक पुस्तक लिखी डिस्कवरी ऑफ इंडिया यानि भारत एक खोज। इसमें भारत वर्ष के तमाम गौरवमय इतिहास की जानकारी है। 1988 में इसी पुस्तक पर आधारित एक टीवी सीरियल भी बना था। इस सीरियल के 26वें ऐपीसोड में रानी पद्मावती की शौर्य और वीरता की कहानी दिखाई गई है। इसमें साफ-साफ दिखाया गया है कि किस तरह आलाउद्दीन खिलजी रानी को झरोखे से देखता है, और हां जिस घूमर नृत्य पर इतने दिनों से विरोध चल रहा है वो घूमर भी इसी कड़ी में दिखाया गया है।
हैरान करने वाली एक बात ये है कि संजय लीला भंसाली उस वक्त भी पद्मावती के फिल्मांकन से जुड़े हुए थे। वो उस समय अपना डिप्लोमा पूरा करके आये थे और वीडियो एडिटर के तौर पर इंडस्ट्री में अपना सफर शुरू किया था। ऐपीसोड़ खत्म होने के बाद जब क्रैडिट रोल चलते हैं तो वीडियो एडिटिंग साफ साफ नाम आता है संजय भंसाली।
, लीला उनकी माता का नाम था और उनके देहांत के बाद वो अपनी माता का नाम अपने नाम के साथ जोड़कर लिखने लगे।
अब यहां खड़े हो रहे हैं सवाल
1- करीब 30 साल पहले जो इतिहास पूरा देश देख चुका है तो उस समय विरोध क्यों नहीं किया गया
2- 1946 में जवाहरलाल नेहरू अपनी पुस्तक में इसका जिक्र कर चुके हैं तो क्या विरोध करने वाले इतिहास नहीं जानते या पढ़ते नहीं हैं
3- कहीं ये विरोध गुजरात चुनाव की वजह से तो नहीं
4- पता लगाया जाये विरोध करने वाले कहीं किसी पार्टी विषेश के संबंध तो नहीं रखते
5- पद्मावती का लगातार विरोध खबरें बनाता रहा और मीडिया का ध्यान गुजरात के मुद्दों के बजाये फिल्म पर लगा रहा
6- कहीं किसी दल ने राजस्थान से लगते गुजरात में राजपूतों के वोट हासिल करने के लिए तो ये मुद्दा नहीं बनाया
खैर ये तो सिर्फ सवाल हैं इनका जवाब तो जनता को अपने विवेक से देना है लेकिन विरोध करने वालों से मेरा ये ही अनुरोध है कि कृपा इतिहास भी पढ़ लिया करें ये एक अच्छा विषय होता है।
Comments
Post a Comment