कर्ज के बोझ तले दबा किसान ..

कर्ज के बोझ तले दबा किसान ......
आज किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है, किसान की हालत बहुत नाजुक है।
एक आंकड़े के मुताबिक 1995 से लेकर 2015 तक इन 20 सालों में 3 लाख 20 हजार किसान देश में आत्महत्या कर चुके हैं।
यदि 2016 की बात करें तो इस एक साल में देश में 11 हजार 458 किसान सुसाइड कर चुके हैं।
इस हिसाब से 1995 से लेकर 2016 तक 3 लाख 31 हजार 458 किसान सुसाइड कर चुके हैं।
हरियाणा में 2015 में सरकारी आंकड़ों में 28 किसानों ने आत्महत्या की है।
यदि गत पांच वर्षों की बात करें तो करीब 150 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
सबसे ज्यादा आत्महत्या आत्महत्या आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र का किसान कर रहा है।
किसानों पर काम करने वाले कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गांव में किसान की लौकी का भा व 2 रुपए से 3 रुपए किलो होता है और उसी लौकी का शहर में 15 से 20 गुणा दाम अधिक हो जाता है। इसी तरह एक किसान का एक क्विंटल गेहूं पैदा करने पर 2050 रुपए खर्च आता है और किसान को मिलता है 1735 रुपए प्रति क्विंटल, इस हिसाब से 315 रुपए प्रति क्विंटल तो किसान को पहले ही घाटा हो रहा है। इसी तरह दूसरी सब्जियों पर किसान को नुकसान उठाना पड़ता है।
आज के दिन जोत कम होती जा रही है और किसान पर कर्ज बढ़ता जा रहा है।
हरियाणा में 16 लाख 17 हजार किसान परिवार है, इन्हीं किसान परिवारों से हमारे लाडले फौज और पेरामिल्ट्री फोर्स में भर्ती होते है। फौज में सरहद पर पहरा देते हुए फौजी भाई को एक चिन्ता यह भी होती है कि मेरे पिता जी की फसल कैसी हुई है, उसको पता नहीं फसल का पूरा दाम मिला भी है या नहीं मिला। लेकिन, हरियाणा के लिए किसान और जवान प्राथमिकता नहीं है।

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