मिनी हाइड्रो प्लांट-कौशल्या डेम में क्यों इतनी जल्दबाजी की?
मिनी हाइड्रो प्लांट-कौशल्या डेम में क्यों इतनी जल्दबाजी की?
-कौशल्या डेम जो पहले से विवादों में है, इसमें 25 इंजीनियरों को सरकार किसी भी समय चार्जशीट कर सकती है,
यह सब को पता है कि कौशल्या डैम एक तरह से सफेद हाथी है, क्योंकि इस डैम में क•ाी पानी नहीं आना है, इसमें केवल बरसात के दौरान थोड़ा बहुत पानी आ सकता है, यह एक तरह से बरसाती नाला है। अब बगैर पानी के किस ने कौशल्या डेम पर हाइड्रो प्लांट लगाने की सलाह दी, यह अपने आप में बड़ा प्रश्न है।
यह सब को पता है कि कौशल्या डैम एक तरह से सफेद हाथी है, क्योंकि इस डैम में क•ाी पानी नहीं आना है, इसमें केवल बरसात के दौरान थोड़ा बहुत पानी आ सकता है, यह एक तरह से बरसाती नाला है। अब बगैर पानी के किस ने कौशल्या डेम पर हाइड्रो प्लांट लगाने की सलाह दी, यह अपने आप में बड़ा प्रश्न है।
चलो मान लेते हैं यहां पर कुछ किलोवाट बिजली पैदा भी हो जाए , तो सवाल यह उठता है कि इस बिजली का करेंगे क्या? इससे तो पिंजौर का काम भी नहीं चलना, फिर बेवजह इस प्रोजेक्ट को क्यों मंजूरी दी गई है। पंजाब में इस तरह के कई मिनी हाइड्रो प्लांट लगाए गए थे, जिसमें भारी धांधलियां हुई। इस मामले में वहां जांच भी चल रही हैं। वहां पर किसने इन प्रोजेक्टों को हरी झंडी दी उन सब की जांच हो रही है।
हरियाणा में हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) के चेयरमैन ने कौशल्या डेम पर बनने वाले इन मिनी हाइड्रो प्लांट पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब अभी हरेडा और डिस्कॉम से नहीं आया है। लेकिन एचईआरसी के दो सदस्यों ने बगैर जवाब आए ही ही एक तरह से बड़ा कारनामा कर दिया और कौशल्या डेम पर मिनी हाइड्रो प्लांट लगाने की मंजूरी दे दी।
हालांकि, एचईआरसी के चेयरमैन ने स्पष्ट लिखा हुआ है कि पहले यह बताया जाए कि यदि यह प्रोजेक्ट नहीं चलता तो फिर इसकी सबसिडी क्या वापस दी जाएगी?
दूसरा यह परियोजना को तो पर्वती राज्यों के लिए है।
इसके अलावा और भी कई उन्होंने प्रश्न खड़े किए हुए हैं,
दूसरा यह परियोजना को तो पर्वती राज्यों के लिए है।
इसके अलावा और भी कई उन्होंने प्रश्न खड़े किए हुए हैं,
हैरानी की बात यह है कि इन सभी सवालों के जवाब आने से पहले ही एचईआरसी के दो सदस्यों ने इस फाइल को मंजूरी दे दी, जबकि यदि इस मामले का कोई जवाब आता और उसके बाद निर्णय दिया जाता तो फिर एचईआरसी की साख पर कोई असर नहीं पड़ना था।
इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रोजेक्ट के लिए 35 साल के लिए जो जमीन लीज पर दी गई है, वह भी पंचकूला नगर निगम के हाउस में पास नहीं की गई है, पंचकूला नगर निगम के अधिकारियों की एक कमेटी ने इसे केवल पास किया हुआ है।
इसके अलावा इस मामले में हरेडा की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि किस तरह से ऐसे अव्यवाहारिक प्रोजेक्ट को मंजूर कर दिया गया। इस मामले में बिजली कंपनी तो तभी पेमंट करेगी जब इस प्रोजेक्ट से बिजली मिलनी आरंभ हो जाएगी,
लेकिन सवाल यह है कि आखिर इस मामले में एचईआरसी के दो सदस्यों ने इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई, पहले जो सवाल खड़े किए गए हैं उनके जवाब तो आने देते।
मुख्यमंत्री के पास ही बिजली विभाग है, इसलिए वे इस मामले की अपने स्तर पर जांच करवा रहे हैं कि आखिर यह मामला क्या है? और इसमें किस-किस के वारे न्यारे हुए हैं।
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