महिला आरक्षण बिल-Few points
महिला आरक्षण बिल-(part-1)
( Few points against women reservation to be discussed)
संसद में करीब दस प्रतिशत महिला सांसद हैं. विधानसभाओं में तो और भी कम हैं. राजनीतिक पार्टियों में महिला पदाधिकारियों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है लेकिन राजनीति में महिलाओं की भूमिका सीमित है, जबकि आज वे हर क्षेत्र में बढ़ रही हैं.
1. पुरुष सत्ता और ताकत के बंटवारे के लिए तैयार नहीं है
2. शहरी महिलाएं संसद में आएंगी और गरीब-पिछड़ी, दलित महिलाओं को मौका नहीं मिलेगा
3. महिलाएं चाहती hein कि वो आरक्षण के रास्ते नहीं बल्कि अपने बलबूते पर आएं.
4. 'पावर' एक स्तर पर पहुंचकर महिला-पुरुष में फ़र्क नहीं करती इसलिए शक्तिशाली महिलाएं और महिलाओं के हक़ में काम करें ये ज़रूरी नहीं.
5. महिलाओं के आरक्षण से परिवारवाद की शक्ल में,पत्नियों, बहुओं, और बेटियों को ही बढ़ावा मिले."
6. आरक्षण नहीं ज़मीनी स्तर पर औरतों की भागीदारी बढ़ाने से ही बदलाव आएगा - महिला सरपंच तो बन जाती है पर असली ताकत उनके परिवार के पुरुष अपने हाथ में रखते हैं.
7. राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तभी बढ़ेगा जब पुरुष ये समझ जाएंगे कि उनसे कुछ छीनने नहीं बल्कि उनके साथ चलने की मांग की जा रही है.
8. लड़ाई पुरुष से नहीं बल्कि रूढ़िवादी सोच से है, जिसमें औरतों को दायरे में रखा गया है, इसे बदलने के लिए पुरुष और महिला दोनों को कोशिश करनी होगी."
महिला आरक्षण बिल-(part-2)
Few Points in favour of women reservation
• महिलाओं ने अनुभव किया कि राजनीति में हर क़दम में उनके रास्ते में कितने रोड़े अटकाए जाते हैं और उनके लिए समान मौके भी नहीं हैं. तब से महिला आरक्षण की ज़रूरत महसूस होने लगी. तभी से आरक्षण का मुद्दा सामने आया कि महिलाओं को विधानसभा और संसद में प्रतिनिधित्व देने के लिए इसकी ज़रूरत है
• 2019 के चुनावों को लेकर तैयारी, महिलाओं को साधने की कोशिश की है.
• निचले स्तर पर स्थानीय चुनावों में महिलाओं के लिए 50 फ़ीसदी आरक्षण है. इससे महिलाओं की एक नई खेप तैयार हुई है, जिन्हें स्थानीय स्तर पर प्रशासन में महारत हासिल है.
• पहले-पहल महिलाएं घूंघट में आया करती थीं और इस पर काफ़ी मज़ाक होता था. कहा जाता था कि पिया बन गए पीए. मगर धीरे-धीरे घूंघट ऊपर उठ गया है.
• इन महिलाओं का ध्यान बिजली, सड़क और पानी जैसे मुद्दों पर रहा है. इससे बदलाव भी आया है और अगर संसद में भी महिलाओं को आरक्षण मिलेगा तो फर्क ज़रूर नज़र आएगा. मुझे लगता है कि ये बहुत अच्छा राजनीतिक क़दम होगा क्योंकि इससे संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा.
• देश की आज़ादी को 70 साल हो रहे हैं लेकिन आज भी संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफ़ी कम है. महिलाएं काफ़ी हद तक महिलाओं के मुद्दों के प्रति संवेदनशील होती हैं, इसलिए राजनीति में उनकी तादाद बढ़ेगी तभी उनकी सामूहिक आवाज़ बुलंद और असरदार होगी." जिन पंचायतों में महिला सरपंच हैं वहां स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास का स्तर बेहतर है
• हर पार्टी में इसका अंदर विरोध हुआ है, भले ही वे बाहर इसका समर्थन करती थीं. संसद के अंदर और संसद के बाहर भी इसका विरोध हुआ. ये कड़वा सच है.
By- Advocate neelam Chaudhary
Comments
Post a Comment