भाखड़ा बांध छोटूराम की देन।
भाखड़ा बांध छोटूराम की देन।
सन 1937 की मिनिस्ट्री में जब सर छोटूराम आ गए तो 12 जून को असेम्बली में अपने विरोधियों को उत्तर देते हुए उन्होंने कहा सबसे अधिक महत्व की बात भाखड़ा बांध योजना है, मैं इस पर एक ही बात कहना चाहूंगा यह की दक्षिण पूर्वी पंजाब के मैम्बर विश्वास रखें कि उनके इलाके की सिंचाई के प्रबंध के लिए मैं चैन की नींद नहीं सोऊंगा।
भाखड़ा बांध के सम्बंध में 4 समस्याएं थी।
★बीसियों करोड़ रुपए खर्चा
★इंजीनियरों और विशेषज्ञों की स्वीकृति
★केन्द्रीय सरकार का सहयोग
★सिंध सरकार की मांग
भाखड़ा बांध आज जहाँ बना है सतलुज का यह नाका तो पंजाब की सीमा में है किंतु 60 मील लम्बी झील जो गोबिंदसागर के नाम से विख्यात है वो बिलासपुर रियासत की सीमा में थी, इसके लिए विलासपुर रियासत से इकरारनामा भी जरूरी था।
चौ० छोटूराम ने ये इकरारनामा तो कराया ही साथ मे सिंध को 6 करोड़ रुपए अपनी नहरों को दुरुस्त करवाने के लिए प्रिवी कॉउन्सिल से अपील कर के दिलवाए क्योंकि सतलुज का पानी इधर रुकने से सिंध की नहरें बेकार होती थी।।
चौ० साहब की आखिरी योजना भाखड़ा बांध ही थी जिसपर उन्होंने 1945 में हस्ताक्षर किए।
Comments
Post a Comment