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Brains, Bits, and Qubits

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What Brains, Bits, and Quantum Physics Have in Common The laws of physics are manifested everywhere in nature.  A flowing river obeys physical laws and, in effect, solves complex fluid dynamics equations as it flows from one point to another. The laws of physics are always at work but are not being harnessed in a programmable way. A river, of course, is not considered to be a computer. “Computing comes down to different ways of processing information. The difference between digital and quantum computing is in manipulating bits versus qubits.” Three Ways Physics is Harnessed in Computation 1. HumanBrains  Computation Humans are programmable: our brains operate by harnessing biophysical processes to receive instructions, process information, and output results. The human brain is considered to be the most complex object in the universe, containing hundreds of billions of neurons, and trillions of synapses connecting the neurons.  the human brain is by far the best computer ...

Chabahar–Zahedan-Bam-Hajigaj Railway

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    India had initially proposed a plan to construct a 900-km Chabahar-Zahedan-Hajigak railway line that would connect Chabahar to the mineral-rich Hajigak region of Afghanistan. In 2011, seven Indian companies acquired rights to mine central Afghanistan's Hajigak region, which contain Asia's largest deposit of iron ore. The Government of India had pledged to spend $2bn in developing supporting infrastructure. In May 2016, an MoU was also signed for the financing of the planned Chabahar–Zahedan railway section of Chabahar–Zahedan-Hajigak railway, as part of North-South Transport Corridor , by Indian Railway 's public sector unit Ircon International . India had offered to supply approximately $400 million worth of steel towards the construction of this railway, [63] as well as offered to finance the construction of the Chabahar to Zahedan rail line at a cost of $1.6 billion. India began shipping rail tracks worth US$150 million in July 2016, and in December 2016 Iran als...

राष्ट्रपति चुनाव 2022: भारत में कैसे चुना जाता है राष्ट्रपति?

राष्ट्रपति को कौन चुनता है? भारत के राष्ट्रपति को एक इलेक्टोरल कॉलेज चुनता है, जिसके सदस्य होते हैं: सभी विधानसभाओं के सदस्य (पुडुचेरी और दिल्ली समेत) राज्यसभा और लोकसभा सदस्य राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्यों को वोट डालने का अधिकार नहीं है. कुल मिलाकर विधानसभाओं के 4120 सदस्य और 776 संसद सदस्य राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. एक विधायक के वोट का क्या मूल्य होता है? विधायक के वोट का मूल्य राज्यों पर निर्भर करता है. राज्य की आबादी वोट का मूल्य तय करती है. मूल्य तय करने के लिए 1971 सेंसस के मुताबिक राज्य की कुल आबादी को कुल विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है और फिर इसे 1000 से गुणा किया जाता है. इस कैलकुलेशन से दिल्ली के एक विधायक के वोट का मूल्य 58, यूपी में 218 और सिक्किम में 7 होता है. इस तरह से कैलकुलेशन करने पर विधायकों के कुल वोट का मूल्य 5,49,495 आता है. एक सांसद के वोट का क्या मूल्य होता है? लोकसभा और राज्यसभा के सांसद के वोट का मूल्य एक ही होता है और ये 708 होता है. इसे तय करने के लिए विधायकों के वोट के कुल मूल्य को दोनों सदनों में चुने हुए सांसदों की संख्या से भाग दिया जाता है. 5,...

Greek Alphabets

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Letter Uppercase Lowercase Alpha Α α Beta Β β Gamma Γ γ Delta Δ δ Epsilon Ε ε Zeta Ζ ζ Eta Η η Theta Θ θ Iota Ι ι Kappa Κ κ Lambda Λ λ Mu Μ μ Nu Ν ν Xi Ξ ξ Omicron Ο ο Pi Π π Rho Ρ ρ Sigma Σ σ Tau Τ τ Upsilon Υ υ Phi Φ φ Chi Χ χ Psi Ψ ψ Omega Ω ω

जिंदगी कभी स्ट्रैट लाइन में नहीं होती

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Life is very similar to a boxing ring.  Defeat is not declared when you fall down.  It is declared when you refuse to rise up जितनी ऊपर आपने सोचा  है अपनी   #जिंदगी में जाने का , उतना ही  एक्सपेक्ट करें के आप नीचे भी जा सकते हैं।   जिंदगी में जब आप एक बड़ा काम करने जा रहे होते हैं  तो आप ये मान कर चलें के   cycles  में  आती है जिंदगी।   जिंदगी कभी स्ट्रैट लाइन में नहीं होती।   ये जो cycles  आप के लिए आते हैं ,  बुरा वक़्त आता है ,  setbacks  आते हैं , disappointments   होती हैं ,  ये आपको सीखाने के लिए  भगवान देता  है।   इसका मतलब के आप कोई चीज़ गलत कर रहे हैं ,कोर्स-करेक्शन की जरुरत है।  आप मेहनत  कम कर रहे हैं।  जो इंसान कामयाब होता है ,  उसकी सबसे बड़ी ability  होती है  कि  जब बुरा वक़्त आता है  तो उसको उस बुरे वक़्त को सम्भालना आता है, cope  करना आता है।   बुरा वक़्त जब आता है त...

It’s just a Bend, not the End..!

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Beautiful words Written by Sophia Loren (Actress at 86) " When I got enough confidence, the stage was gone…..  When I was sure of Losing, I won…….  When I needed People the most, they Left me…….  When I learnt to dry my Tears, I found a shoulder to Cry on……  When I mastered the Skill of Hating, Someone started Loving me from the core of the Heart……  And, while waiting for Light for Hours when I fell asleep, the Sun came out…..  That’s LIFE!!  No matter what you Plan, you never know what Life has Planned for you……  Success introduces you to the World…….  But Failure introduces the World to you…….  ……Always be #Happy!!  Often when we lose Hope and think this is the end…  God smiles from above and says,  “Relax Sweetheart; It’s just a Bend, not the End..!"..

CAA नागरिकता संशोधन क़ानून -कुछ सवाल, वरिष्ठ पत्रकार गुरदीप सप्पल

वरिष्ठ पत्रकार गुरदीप सप्पल ने कुछ सवाल उठाए हैं---- A MUST-READ...  CAA यानि नागरिकता संशोधन क़ानून जो बनाया है, क्या उससे पहले शरणार्थी ग़ैर मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान नहीं था? पहले अगर कोई मुस्लिम शरणार्थी भारत की नागरिकता माँगता था, तो क्या उसकी माँग को मानना सरकार की मजबूरी होती थी? क्या सरकार उसे नागरिक बनाने से मना नहीं कर सकती थी?  अगर किसी शरणार्थी को नागरिकता देने या न देने का पूरा अधिकार सरकार को पहले से था, तो इस नए संशोधन से सरकार को और क्या मज़बूती मिली है?  क्या अब कोई मुस्लिम शरणार्थी भारत में कभी नागरिकता नहीं माँग पायेगा? अगर माँगेगा, तो क्या उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है  आज तक देश ने कितने हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता दी है, डेटा पूछिए। कितने मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता पिछले 70 साल में भारत ने दो है? . अगर पहले भी नागरिकता देने या न देने का पूरा अधिकार सरकार को पहले से है, और मुस्लिम भी पुराने क़ानून के तहत अभी भी नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं, तो फिर इस नए क़ानून की ज़रूरत क्या ...

CM पद की दावेदारी में बिखरा विपक्ष ?

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कर्नाटक चुनाव के दौरान देश के 17 स्वयं घोषित(self-proclaimed) #प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार एक मंच पर फोटोशूट करवाते दिखे। आज हमारे हरियाणा में भी ऐसे ही 10 से अधिक  स्वयं घोषित (self-proclaimed) मुख्यमंत्री  पद के उम्मीदवार हो चुके हैं।  इस लिस्ट को बढ़ाने का काम अब भी जारी है। इनेलो बंटवारे की राह पर है।सत्ता के लिये विधायकों को अपणी तरफ़ लाने के लिये कोशिशों के बारे में तो बहुत सुना था ,परन्तु  "विपक्ष" में बने रहने के लिए , कोई पार्टी  अपने विधायकों को लुभाने पर लगी हो  ऐसा पहली बार सुन रहे हैं । कांग्रेस का अभी तक बंटवारा तो नहीं हुआ ,पर अंदरूनी खाते बारूद के ढेर पर हैं।इन पार्टीज और नेताओं ने खुद ही ,अपने-अपने  अस्तित्व को खात्मे के कगार पर ला दिया है।  ख़बरों में बने रहने के लिए रोज़ नये-नए तरीके इज़ाद किये जा रहे हैं।  इसके लिए चाहे विधानसभा में जूतम-पैजार हो या सड़क पर रेलम-पेल कुछ और नहीं  तो चाहे पार्टी को अपने ही घर में ही जूत-बजाणा पड़े ,पर अपने कार्यकर्ताओं के नज़रों में अपना वज़...

नया हरियाणा कैसे बने (भाग-3 )

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रोडवेजकर्मी हड़ताल हम अपने प्रदेश को हड़ताल प्रदेश नहीं देखना चाहते। कर्मचारी जाने क्यूँ इस आख़री विकल्प को अपनी उचित /अनुचित माँगे मनवाने के लिए सबसे पहले  विकल्प के रूप में चुन रहे है। पहले गेस्ट टीचर, आशा वर्कर, होमगार्ड, फायर ब्रिगेड, बिजलीकर्मी और अब रोडवेजकर्मी हड़ताल पर हैं।                 हड़ताल के सीधे-सीधे मायने हैं -कर्मचारियों का काम ना करना (mass refusal of employees to work ) यह एक तरह का  Civil resistance   होता है (non-violent ) जो किसी न किसी  ताक़त या पॉलिसी के खिलाफ किसी अच्छे बदलाव की जननी होता है।  परन्तु आजकल हड़ताल का मतलब है चुनावी समय का फायदा उठाकर , राजनितिक गलियारों और अपने साथियों के बीच  अपनी पहचान और दबदबा बनाये रखना।  चाहे एस्मा ही क्यों न लगा हो।  सरकारी परिवहन समितियों (1993), नई परिवहन पालिसी (1999), वॉल्वो बस (2006) आदि के समय भी विरोध हुआ ,और यही हम किलोमीटर स्कीम के तहत चलाई जाने वाली किराये की प्राइवेट बसों के खिलाफ देख रहे हैं। क्यूँकि बहुत से...

देखना उनका कनखियों से

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देखना उनका कनखियों से इधर देखा किये अपनी आह-ए-कम-असर का हम-असर देखा किये लम्हा लम्हा वक़्त का सैलाब चढ़ता ही गया रफ़्ता रफ़्ता डूबता हम अपना घर देखा किये कोई क्या जाने के कैसे हम भरी बरसात में नज़र-ए-आतिश अपने ही दिल का नगर देखा किये सुन के वो 'शहज़ाद' के अशआर सर धुनता रहा थाम कर हम दोनों हाथों से जिगर देखा किये Farhat Sehzaad

मगर कहना उसे

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कोंपलें फिर फूट आईं शाख़ पर कहना उसे वो न समझा है न समझेगा मगर कहना उसे वक़्त का तूफ़ान हर इक शय बहा कर ले गया इतनी तन्हा हो गई है रहगुज़र कहना उसे जा रहा है छोड़ कर तन्हा मुझे जिसके लिये चैन न दे पायेगा वो सीम-ओ-ज़र कहना उसे रिस रहा हो ख़ून दिल से लब मगर हँसते रहे कर गया बरबाद मुझको ये हुनर कहना उसे जिसने ज़ख़्मों से मेरा '#शहज़ाद' सीना भर दिया मुस्करा कर आज प्यारे चारागर कहना उसे Farhat Sehzaad

नया हरियाणा कैसे बने -- भाग -2

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  सरकारी अध्यापक  से उमीदें .... आज हम अच्छी गुणवत्ता वाली डिजिटल शिक्षा की बात करते हैं। । 12वें प्लानिंग कमिशन(2012-17) में  Access, Equity, Quality and Governance .की बात कही गई है।  सदा से,  ज्ञान-प्राप्ति ( learning achievements) क्लास पास करने से अधिक महत्वपूर्ण है। पर हक़ीक़त में  अध्यापक भी केवल स्कूली-किताब में छपा (  textual material) ही पढ़ाते हैं । सभी विषयों में दसवीं तक कितने ही चैप्टर्स जाने कितनी बार अलग-अलग क्लास में  अलग-अलग विषयों में शामिल हैं।    कितनी मोटी-मोटी  किताबें और ज्ञान के नाम पर क्लास पास करने के बाद  कुछ भी याद  नहीं रहता। ऐसी शिक्षा किसी नकली दवाई की तरह है।  पैसे और समय की बर्बादी और मर्ज़ वहीँ का वहीँ।  सरकारी स्कूल जहाँ अधिकतर गरीब तबके के हमारे बच्चे पढ़ते हैं वहाँ तो सर्विसेज का पूछो मत। आज सरकारी अध्यापक सिर्फ महीने की तनख्वाह पर काम करने वाला कामगार है शिक्षक नहीं। वह केवल अपनी सुविधाएं देखता है ,अपने लिये आंदोलन भी करता है।   क्या उसने कभी सोचा के...

नया हरियाणा कैसे बने --भाग -1

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परिवारवाद के शासन से मुक्ति हरियाणा जब से बना है तब से क्षेत्रिय दलों का दबदबा रहा है। और ज्यादातर पोलिटिकल परिवार ही हावी रहे हैं। अक्सर कास्ट बेस्ड पॉलिटिक्स की वजह भी यही राज-परिवार रहे हैं। हम भी, जाने क्यूँ भूल जाते हैं कि अंग्रेज़ कभी के चले गए हैं। अब हम किसी के गुलाम नहीं रहे , हम सभी बराबर हैं। कोई भी , चाहे किसी भी परिवार से हो, किसी भी वर्ग से हो ,किसी दूसरे व्यक्ति से बड़ा या सुपीरियर नहीं हो सकता। हमारी सिर्फ यही सोच हमें परिवारवाद के शासन से मुक्ति दि ला सकती है। जब भी परिवारवाद हावी होता है ,दरबारियों की पौ-बारह होती है। योग्यता गर्त में चली जाती है। सभी ऊंचे पदों पर भाई-भतीजावाद काबिज़ हो जाता है। बस यहीं से भ्रष्टाचार जड़ पकड़ना शुरू कर देता है। कोई भी ईमानदार किसी भ्रष्ट माहौल में ईमानदारी से काम नहीं कर पाता। बस इसके बाद सारी तरक्की रुक जाती है और जनता भी अपनी आवाज़ उठाने से डरने लगती है। आज दुनिया भर में साधारण परिवारों से ईमानदार लोग सत्ता पर काबिज़ हो रहे हैं। भारत में भी शरुआत हो चुकी है , आवश्यकता है नौजवानों के सामने आने की। परिवारवाद वाली राजनीतिक पार्टीज हमार...

वक़्त ठहर सा गया है , बीत जाता तो अच्छा था।

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वक़्त ठहर सा गया है , बीत जाता तो अच्छा था।  

महागठबंधन की राजनीति

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मिस्र के एक धार्मिक राजा थे सलाउद्दीन अयूबी। एक बार सारे चोर बदमाशों ने मिलकर विद्रोह कर दिया। उन्हें जंग टालने की सलाह दी गई।  पर वे बोले - बात तो ठीक है ,पर इससे बेहतर मौका मुझे नन्ही मिलेगा।  मैं कहाँ एक-एक को ढूंढ कर मारूंगा। इकट्ठे हो गए हैं तो एक ही बार में सबका फैसला हो जाने दो.  आज अगर सब , कर्णाटक में एक मंच पर खड़े 17 भावी प्रधानमंत्री एक ही साथ जनता के हाथों निबट जाएँ तो बहुत अच्छा।  हमरे देश की जनता को भी जातिवाद ,परिवारवाद ,भ्रष्टाचार के प्रतीकों को सबक सिखाने का मौका मिलेगा।  आज एक भी दल ऐसा नन्ही जो बीजेपी से पटखनी न खा चूका हो। अपने अस्तित्व को बचाना विपक्ष के लिये मोदी जी के सामने निश्चित तौर पर एक चुनौती है। हाँ कांग्रेस को विपक्षी दल भी धोखा देने से बाज़ नन्ही आते। कितने नाटकीय अंदाज़ में सोनिया गाँधी और मायावती की गाल से गाल मिलाकर ली गईं तस्वीरें वायरल हुई थीं।  मायावती जिसका खाता 2014 में जीरो था आज असेम्बली एलेक्शंस में कांग्रेस को ठेंगा दिखा रही हैं।   वाह रे महागठबंधन की राजनीति ! कौन किसका सगा है , सबने एक दूसरे को ठगा ...

S-400 deal- India killed many birds with one stone

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5th October - Indo-Russia pact on S-400 Missile, nuclear power stations, space and agriculture was signed without waiting for any approval from  Washington. In August 2017, the US passed an act CAATSA (  Countering America's Adversaries Through Sanctions Act ) and recently on 21st September imposed sanctions under the same act upon China and Russia for the deal of the same S-400 in between them. 6th October,  the US embassy clarified that CAATSA is not applicable on its strategic partners and allies and indicated no sanctions upon India Now, China is a rival and threat to the US  and India had secured a driving seat in the US-India relationship in the current scenario. Since the 1990s Russia was being felt eliminated from India and was drifting towards Pakistan and promoting its interests in Russia-Pak Military relationships and was not supporting India at the International forum on Kashmir Issues. Through this deal, our traditional ally is being brought closer...

युधिष्ठिर को अंतिम शिक्षा

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दूरदर्शन का सबसे चर्चित धरावाहिको में से एक बी. आर. चौपडा की महाभारत  का एक दृश्य जिसमे भीष्म पितामह  बा णों की शय्या पे लेटे हुए है। उसी समय पाण्डव भगवान कृष्ण के साथ वहां उन्हें ये बताने के लिए आते है की हस्तिनापुर अब चारो ओर से सुरक्षित है , क्यूंकि कौरवों का पराजय हो चुकी है और अब उसका   रा जा धर्मराज युधिष्ठिर हैं। उसी समय भगमान श्री कृष्ण पितामह से कहते है की आप युधिष्ठिर को अंतिम शिक्षा दीजिये , तो पितामह युधिष्ठिर से कहते है। हे वत्स  !  वो राजा कभी अपने देश के लिए सही नहीं होता है जो अपने देश के आर्थिक और सामाजिक रोगों के लिए अतीत को उत्तरदायी ठहरा के संतुष्ट हो जाये। यदि अतीत ने तुम्हे एक निर्बल आर्थिक और सामाजिक ढांचा दिया है तो उसे बदलो , उसे सुधारो क्यंकि अतीत तो यूँ भी वर्तमान के कौसौटी पे खड़ा नहीं उतरता है। क्यूंकि अगर अतीत स्वस्थ होता और उसमे देश को प्रगति के मार्ग पे ले जाने की शक्ति होती तो...

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