यह बात बिल्कुल सही है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के कार्यकाल में 1999 से लेकर 2005 तक आई एम् टी मानेसर का विकास हुआ। उनके समय में होंडा मोटर साइकिल एंड स्कूटर प्रायवेट लिमिटेड कपंनी जो जापान की है, वह आई इसके बाद मानेसर का विकास को पहिया लग गए और देखते राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर आठ पर बावल तक इंडस्ट्रियलिस्ट डेवलपमेंट शुरू हो गया।
हीरो होंडा का एक गुड़गांव का प्लांट भी उनके समय में लगा, हीरो होंडा अब हीरो कोर्पस है, इसकी सहायक कई कम्पनियां उनके समय में लगी, लगता था की प्रदेश का ओधौगिक विकास हो रहा है।
गुडगाँव में जो आईटी कम्पनियां आई हैं, इसका क्रेडिट इन कपंनियों को ही जाता है, इसमें सरकारों का कोई ज्यादा लेन देन नहीं है, क्योंकि गुड़गांव दिल्ली के नजदीक है, आज गुड़गांव में बड़ी से बड़ी मल्टी नेशनल कम्पनी का भी कॉर्पोरेट ऑफिस देखने को मिलेगा।
नई दिल्ली का इंटर नेशनल हवाई अड्डा गुड़गांव के नजदीक होना भी इन कपमियों का गुडगाँव के प्रति मुख्य आकर्षण की वजह है।ये कम्पनियां स्वयं गुड़गांव आई.
उसके बाद हुड्डा का कार्यकाल 2005 में शुरू हुआ, वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, होंडा कांड हो गया जिसके बाद यहां के उद्यमियों में एक डर पैदा हो गया। यह भी एक मुख्य वजह थी कि होंडा ने अपनी दूसरी यूनिट राजस्थान के टप्पू कड़ा में तीसरी यूनिट बंगलौर में और चोथी यूनिट गुजरात में लगाई, उसकी चोथी यूनिट जल्द चालू होने वाली है।
मारुती ने भी अपनी एक नई यूनिट गुजरात में लगाई, यह उनका प्लांट जल्द चालू हो जाएगा।
इसके अलावा और भी बहुत कम्पनी हरियाणा से पलायन कर गई। प्रदेश में 2012 तक कुछ वेंडर कंपनी अवश्य आई, लेकिन इसके बाद आर्थिक मन्दी का असर यहां के उधोगों पर भी पड़ा, और मानेसर की कई कम्पनी हिमाचल प्रदेश के बददी चली गई, कुछ राजस्थान भी गई।
यह कहना बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं होगा कि पूर्व हुड्डा सरकार ने जमीनों के रेट बढ़ाने और अपने चेहतो को फायदा पहूँचाने के लिए ऐसे शहरों में आई एम टी बनवा दी, जहाँ अब खाली प्लॉट पड़े हैं। इस वजह से आज एचएसआईआईडीसी 12 हजार 500 करोड़ के घाटे में है। जहां जहां नई आई एम टी बगैर उधमियों की जरूरत के हिसाब से बनाई गई, उनसे उधमी अपने हाथ खिंच रहे है। एच एस आई आई डी सी की एक ब्रांच तो प्लॉट सरेंडर करने वालों के चेक बनाने में ही लगे रहते हैं। अब आईएमटी रोहतक और आईएमटी खरखोदा जहाँ कोई नई फेक्ट्री लगाए तो बेसमेंट ही नया बनाया जा सकता, पानी का जलस्तर ही रोहतक में इतना ऊपर है कि बेसमेंट बनाओ तो जमीन से पानी निकल आता है। यही मुख्य वजह है कि रोहतक में हुड्डा बड़ी मुश्किल से दो तीन कपंनी ही ला सके।एशियन पैंट्स और मारुती का यहां पर आर आर डिवीजन है, एक कोई छोटी सी जापानी कपंनी भी है, बाकि सारे प्लॉट खाली देखे जा सकते हैं। उधमियों की मानें तो उनका स्पष्ट कहना है कि जहां पर उनको उनके प्रोडक्ट पर लागत कम आएगी, उधमी वहां पर अपना उधोग लगाएगा। गुडगाँव, मानेसर और एन सी आर एरिया में इंडस्ट्री लगाना बहुत महंगा काम है, आई टी क्षेत्र के लिए यह क्षेत्र सबसे उपयुर्क्त है। उनका मानना है कि सरकार यदि सस्ती जमीन दे तो ठीक वरना वे दूसरे राज्यों में उनको जहां सस्ती जमीन मिलेगी, वे वहां इंडस्ट्री लगाना पसन्द करेंगे।
हीरो होंडा का एक गुड़गांव का प्लांट भी उनके समय में लगा, हीरो होंडा अब हीरो कोर्पस है, इसकी सहायक कई कम्पनियां उनके समय में लगी, लगता था की प्रदेश का ओधौगिक विकास हो रहा है।
गुडगाँव में जो आईटी कम्पनियां आई हैं, इसका क्रेडिट इन कपंनियों को ही जाता है, इसमें सरकारों का कोई ज्यादा लेन देन नहीं है, क्योंकि गुड़गांव दिल्ली के नजदीक है, आज गुड़गांव में बड़ी से बड़ी मल्टी नेशनल कम्पनी का भी कॉर्पोरेट ऑफिस देखने को मिलेगा।
नई दिल्ली का इंटर नेशनल हवाई अड्डा गुड़गांव के नजदीक होना भी इन कपमियों का गुडगाँव के प्रति मुख्य आकर्षण की वजह है।ये कम्पनियां स्वयं गुड़गांव आई.
उसके बाद हुड्डा का कार्यकाल 2005 में शुरू हुआ, वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, होंडा कांड हो गया जिसके बाद यहां के उद्यमियों में एक डर पैदा हो गया। यह भी एक मुख्य वजह थी कि होंडा ने अपनी दूसरी यूनिट राजस्थान के टप्पू कड़ा में तीसरी यूनिट बंगलौर में और चोथी यूनिट गुजरात में लगाई, उसकी चोथी यूनिट जल्द चालू होने वाली है।
मारुती ने भी अपनी एक नई यूनिट गुजरात में लगाई, यह उनका प्लांट जल्द चालू हो जाएगा।
इसके अलावा और भी बहुत कम्पनी हरियाणा से पलायन कर गई। प्रदेश में 2012 तक कुछ वेंडर कंपनी अवश्य आई, लेकिन इसके बाद आर्थिक मन्दी का असर यहां के उधोगों पर भी पड़ा, और मानेसर की कई कम्पनी हिमाचल प्रदेश के बददी चली गई, कुछ राजस्थान भी गई।
यह कहना बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं होगा कि पूर्व हुड्डा सरकार ने जमीनों के रेट बढ़ाने और अपने चेहतो को फायदा पहूँचाने के लिए ऐसे शहरों में आई एम टी बनवा दी, जहाँ अब खाली प्लॉट पड़े हैं। इस वजह से आज एचएसआईआईडीसी 12 हजार 500 करोड़ के घाटे में है। जहां जहां नई आई एम टी बगैर उधमियों की जरूरत के हिसाब से बनाई गई, उनसे उधमी अपने हाथ खिंच रहे है। एच एस आई आई डी सी की एक ब्रांच तो प्लॉट सरेंडर करने वालों के चेक बनाने में ही लगे रहते हैं। अब आईएमटी रोहतक और आईएमटी खरखोदा जहाँ कोई नई फेक्ट्री लगाए तो बेसमेंट ही नया बनाया जा सकता, पानी का जलस्तर ही रोहतक में इतना ऊपर है कि बेसमेंट बनाओ तो जमीन से पानी निकल आता है। यही मुख्य वजह है कि रोहतक में हुड्डा बड़ी मुश्किल से दो तीन कपंनी ही ला सके।एशियन पैंट्स और मारुती का यहां पर आर आर डिवीजन है, एक कोई छोटी सी जापानी कपंनी भी है, बाकि सारे प्लॉट खाली देखे जा सकते हैं। उधमियों की मानें तो उनका स्पष्ट कहना है कि जहां पर उनको उनके प्रोडक्ट पर लागत कम आएगी, उधमी वहां पर अपना उधोग लगाएगा। गुडगाँव, मानेसर और एन सी आर एरिया में इंडस्ट्री लगाना बहुत महंगा काम है, आई टी क्षेत्र के लिए यह क्षेत्र सबसे उपयुर्क्त है। उनका मानना है कि सरकार यदि सस्ती जमीन दे तो ठीक वरना वे दूसरे राज्यों में उनको जहां सस्ती जमीन मिलेगी, वे वहां इंडस्ट्री लगाना पसन्द करेंगे।
Comments
Post a Comment