PC and PNDT Act (THE PRE-NATAL DIAGNOSTIC TECHNIQUES (PNDT) ACT   )                         में छापे बेशुमार हुए पर  कार्रवाई समझ से बाहर है।

-पीसी एडं पीएनडीटी एक्ट में ताबड़तोड़ छापेमारी
-अब तक के सारे रिकार्ड ध्वस्त
-अक्तूबर 2014 से सितंबर 2017 तक 7224 जगह छापेमारी
-लेकिन, मात्र 93 इंफोर्मर ही हुए सम्मानित, जिनकी रिपोर्ट सही थी
-19 लोग ही  दोषी पाए  जिनको सजा हुई है  , 10 डॉक्टरों के खिलाफ ही कोर्ट में चार्ज फ्रेम हो सके

 शिशु लिंगानुपात में बदनामी झेल रहे हरियाणा के माथे से अब बदनुमा दाग हल्का-हल्का हटने लग गया है। पीसी एडं पीएनडीटी एक्ट हरियाणा में विधिवत तौर पर 2001 में लागू हो गया था, लेकिन आज तक के इतिहास में इतनी ताबड़तोड़ छापेमारी कभी  नहीं हुई जितनी की मनोहर लाल सरकार के कार्यकाल में हुई है।
मिली जानकारी के मुताबिक अक्तूबर 2014 से सितंबर 2017 तक हरियाणा में 7224 जगह छापेमारी की गई।

 इस दौरान 236 अल्ट्रासाउंड की मशीनें सील कर दी गई हैं। इतना ही नहीं 244 के रजिस्ट्रेशन कैंसल/सस्पेंशन कर दिए गए हैं।

इतना सब करने के बावजूद शिशु लिंगानुपात में 14 प्वायंट की वृद्धि हुई है, अगस्त 2017 तक के जो आंकड़े आए हैं, उसके अनुसार लड़कियों की संख्या 1000 लड़कों के पीछे 909 है। प्रदेश के 15 जिलों में यह आंकड़ा 900 से ऊपर बताया गया है और 6 जिलों में 850 से 900 के बीच है।
लेकिन, महत्वपूर्ण बात यह है कि इतने •ायंकर तरीके से छापेमारी करने के बावजूद 19 लोगों को ही इस सरकार के कार्यकाल में सजा हुई है। इस दौरान 10 डाक्टरों के खिलाफ ही कोर्ट में चार्ज फ्रेम हुए हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार इस दौरान स्टेट मेडिकल काउंसिल से 6 डाक्टरों के लाइसेंस कैंसल किए गए और 5 डाक्टरों के लाइसेंस सस्पेंड किए गए हैं।

इतना ही नहीं इस दौरान 200 डिस्ट्रिकट  टॉस्क फोर्स की मीटिंग हुई है। इसके अलावा 88 स्टेट अपरोपरिएट की मीटिंग आयोजित की गई। लेकिन, जो बड़ी बात है वह यह है कि मात्र 93 इंफोर्मर ही सम्मानित किए गए हैं। बताया गया है कि इस सरकार के कार्यकाल में पीसी एडं पीएनडीटी एक्ट के दौरान 2 स्टेट लेवल की वर्कशाप हुई है। इस दौरान निचली अदालतों में 134 केस चल रहे हैं।


आईएमए के एक सीनियर डाक्टर का कहना है कि इतनी ज्यादा छापेमारी करके डाक्टरों के मन में भय पैदा किया जा रहा है। जो इस तरह का काम करते हैं, उनके खिलाफ जो सख्त से सख्त कार्रवाई वह की जाए, लेकिन किसी को बेवजह तंग नहीं किया जाना चाहिए।


जबकि 2001 से लेकर सितंबर 2017 तक की बात की जाए तो इस दौरान 26679 छापेमारी हुई थी। इस दौरान 512 मशीनें सील की गई, 691 रजिस्टेÑशन सस्पेंड/कैंसल किए गए। इसके अलावा 236 नीचली अदालतों में केस चल रहे हैं। इसके अलावा इस दौरान 76 लोगों को सजा हुई जिनमें से 41 डाक्टर हैं। वहीं, 24 डाक्टरों के खिलाफ कोर्ट में चार्जफ्रेम किए गए, 16 डाक्टरों के लाइसेंस स्टेट मेडिकल काउसिंल से कैंसिल गए तथा 6 लाइसेंस निलंबित किए गए।

उधर, इस दौरान 313 डिस्ट्रिक टास्क फोर्स की मीटिंग हुई है जबकि 191 स्टेट अपरोपरिएट अथॉरिटी की मीटिंग हुई है। बताते हैं कि इस दौरान 105 इंफोर्मर को ईनाम दिया गया और 4 स्टेट लेवल की मीटिंग हुई है।


एक बहुत ही सीनियर डाक्टर ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत में देशवासियों से भावनात्मक अपील करते हुए बेटियों के जीवन की भीख मांगते हुए डाक्टरों से कहा था कि पैसा कमाने के लिए क्या यही धंधा बचा है?

उनकी अपील के बाद निश्चित तौर पर कन्याओं की संख्या में वृद्धि  हुई है, लेकिन नंबर बनाने के खेल में हरियाणा में लड़कियों की संख्या में बेताहाशा वृद्धि दिखा दी गई है। यह बात प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को जो रिपोर्ट मिली है उसमें भी  स्पष्ट हो चुका है कि कई जगह झूठे आंकड़ दर्शाए गए हैं।

अब इन आंकड़ों से यह बात पता चलती है कि ताबड़तोड़ छापेमारी से डाक्टरों के मन में भय तो बैठ गया, लेकिन इसमें सजा तो मात्र 19 लोगों को ही हुई है। काफी मामलों में बगैर सबूतों की वजह से स्वास्थ्य विभा ग कोर्ट  में हार जाता है,गत दिनों एक डीए को इसलिए सस्पेंड किया गया क्योंकि उसने केस की ठीक से पैरवी नहीं की, जबकि उसने विभाग  को बताया कि बगैर सबूत के वह कोर्ट में क्या करे?

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