गया साल ये भी आख़िर, ये भी दिन गुज़र रहा है कहीं कुछ बिखर रहा है, कहीं कुछ सँवर रहा है ~आलोक श्रीवास्तव
ज़िंदगी क्या जो बसर हो चैन से दिल में थोड़ी सी तमन्ना चाहिए ~जलील मानिकपूरी


शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास, रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं. -मुनीर नियाज़ी

तेज़ हवा ने हर तरफ़ आग बिखेर दी तमाम अपने ही घर का ज़िक्र क्या शहर के शहर जल गए ~हसन आबिद
“रह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी, आगे और बढ़ें तो शायद दृश्य सुहाने आएँगे” -दुष्यन्त कुमार (साये में धूप)

करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए

कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता इतना आसान है पता मेरा

अब जो रिश्तों में बँधा हूँ
तो खुला है मुझ पर कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं
परों के होते
किस क़दर बद-नसीब हैं हम के हमें इंसानों की इस दुनिया में हमेशा इल्म और अक़ल की एहमियत साबित करना पड़ी है…




गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम
हर बार तुमसे मिलके बिछड़ता रहा हूं मैं तुम कौन हो ये खुद भी नहीं जानती हो तुम मैं कौन हूं ये खुद भी नहीं जानता हूं मैं


कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता इतना आसान है पता मेरा

जिस्म में आग लगा दूँ उस के और फिर ख़ुद ही बुझा दूँ उस को

उस के होंटों पे रख के होंट अपने बात ही हम तमाम कर रहे हैं

यारों कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस कयामत बाहों का वो जो समेटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे


मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं.. का ये शेर उनकी कब्र पर लिखा है..

क्या है जो बदल गई है दुनिया मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ

कहानी ख़तम हनी वालीहै
मेरी आखिरी मोहब्बत हो तुम

मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से

समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया


कौन इस घर की देखभाल करे रोज़ एक चीज़ टूट जाती है

Nahi'n duniya ko jab parwa hamari To phir duniya ki parwa kyon karein hum
हाल उस सैद का सुनाईए क्या ,,, जिसका सैयाद ख़ुद क़फ़स में है

और तो क्या था बेचने के लिए अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
Jurm mein hum kami karein bhi toh kyun? Tum saza bhi toh kam nahin kartey.
शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा,
कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा।
क्या तुम भी तरीक़ा नया ईजाद करो हो ख़ुद अपना बना कर मुझे बरबाद करो हो ~सय्यद शकील दस्नवी
Chalne ka hausla nahin, rukna muhaal kar diya Ishq ke is safar ne to mujh ko nidhaal kar diya
शाम कहती है, कोई बात जुदा सी लिक्खूँ दिल का इसरार है फिर उस की उदासी लिक्खूँ ~फ़रहत शहज़ाद
ज़िंदगी मुख़्तसर मिली थी हमें हसरतें बे-शुमार ले के चले ~नौशाद अली
Dhalte suraj ne diya hai kitni yaadon ko farogh Chand yun ubhra ki har zarra ujaagar ho gaya ~Ahmad Tanvir
मैंने दो चार किताबें तो पढ़ी हैं लेकिन, शहर के तौर तरीक़े मुझे कम आते हैं| बशीर बद्र
ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और

बस मुझे यूँही इक ख़याल आया सोचती हो तो सोचती हो क्या ~जौन एलिया
इसी उमीद पे किरदार हम निभाते रहे कि रुख़ करेगी कभी दास्ताँ हमारी तरफ़ ~राजेश रेड्डी
आप की नज़रों में शायद इस लिए अच्छा हूँ मैं देखता सुनता हूँ सब कुछ फिर भी चुप रहता हूँ मैं
Nikal ke Khuld se unko milii Khilaafat-e-arz nikaale jaane kii tohmat hamaare sar aayi..Khuld : Paradise

भँवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे ~रज़ा हमदानी
मोहब्बत रही चार दिन ज़िंदगी में रहा चार दिन का असर ज़िंदगी भर ~अनवर शऊर

पुराने लोग समझते थे कुछ नया हूँ मैं नए दिनों ने पुराना बना दिया है मुझे ~हसन जमील

दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए

दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं Nida Fazli
गरचे अहल-ए-शराब हैं हम लोग ये न समझो ख़राब हैं हम लोग ~जिगर मुरादाबादी
Aankh se door na ho dil se utar jaayega Waqt ka kya hai guzarta hai guzar jaayega
ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन हम-सफ़र आप जो होते तो मज़ा और ही था ~अमीता परसुराम 'मीता'
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली ~बशीर बद्र
ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना भी नहीं ~मुज़फ़्फ़र वारसी
Aisa lagta hai ki bujhne ki ghaDi aa pahunchi Lau charaghon ki bahut tez hui jaati hai ऐसा लगता है बुझने घड़ी आ पहुंची ,
लौ चिरांगों की बहुत तेज़ हुई जाती है। ~Fasih Rabbani
इसी उमीद पे हम दिन ख़िज़ाँ के काटते हैं कभी तो बाद-ए-बहार आएगी चमन की तरफ़ ~नज़्म तबा-तबाई
Kya mila tumko mere ishq ka charcha kar ke Tum bhi ruswa huye aakhir mujhe ruswa kar ke ~Jaleel Manikpuri
इसी उमीद पे हम आज तक भटकते हैं हर एक शख़्स का कोई ठिकाना होता है -Shahryar
उस की यादों ने उगा रक्खे हैं सूरज इतने शाम का वक़्त भी आए तो सहर लगता है
Ye mere ghar ki faza ko kiya hua Kab yahan mera tumhaara tha kabhi
अब तो ले दे के यही काम है इन आँखों का जिन को देखा नहीं उन ख़्वाबों की करें ... ~शहरयार
बड़ी तलब थी बड़ा इंतिज़ार, देखो तो बहार लाई है कैसी बहार, देखो तो ~कलीम आजिज़
Kya haseen khwab mohabbat ne dikhaye the hamein Jab khuli aankh to taabeer pe rona aaya ~Naushad Ali
अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे ~इक़बाल अज़ीम
फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं फिर वही ज़िंदगी हमारी है Mirza Ghalib
ख़ैर औरों ने भी चाहा तो है, तुझ सा होना ये अलग बात कि मुमकिन नहीं ऐसा होना ~अहमद मुश्ताक़
ये फ़क़त आप की इनायत है वर्ना मैं क्या मेरी हक़ीक़त क्या ~मिर्ज़ा हादी रुस्वा
वो कहते हैं मैं ज़िंदगानी हूँ तेरी ये सच है तो उन का भरोसा नहीं है ~आसी ग़ाज़ीपुरी
चेहरे हैं कि सौ रंग में होते हैं नुमायाँ आईने मगर कोई सियासत नहीं करते ~खुर्शीद अकबर
लम्हा लम्हा तजरबा होने लगा मैं भी अंदर से नया होने लगा ~सरफ़राज़ दानिश
ये जो ज़िंदगी की किताब है, ये किताब भी क्या किताब है कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है, कहीं जान-लेवा अज़ाब है ~राजेश रेड्डी
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तेरी हरगिज़ गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो ~ख़्वाजा मीर 'दर्द'
ये कहानी भी ख़ूब है यारो हर जगह एक सी इबारत है ~वजद चुगताई
ये ख़ुनुक ख़ुनुक हवाएँ ये झुकी झुकी घटाएँ वो नज़र भी क्या नज़र है जो समझ न ले इशारा ~शकील बदायुनी
Baraabar khafa hon baraabar manayein Na tum baaz aao na ham baaz aayein

mere baare mein.. ulTey-seedhey andaazey lagaatey rehtey hain sab magar aa ke Theharta koii nahiin... mere hone ki hairaani mein Saa'b.
"Beete hue din yaad aaye, ya yaar koyi jo mil ke khoya... Hanste-hanste jaane hua kya, ishq dahaadein maar ke roya..!!!"

ख़ाक से सैंकड़ों उगे ख़ुर्शीद है अंधेरा मगर चराग़-तले

कितना मुश्किल काम है अच्छाइयों को ढूँढना यूँ तो ख़बरों से भरे हैं रोज़ ही अख़बार सौ ~प्रताप सोमवंशी

ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को अपने अंदाज़ से गँवाने का

काँटों से गुज़र जाता हूँ, दामन को बचा कर फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ ~शकील बदायुनी
आधी से ज़ियादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँ अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है


Tha khwab mein khayal ko tujh se muamla Jab aankh khul gai na ziyan tha na sood tha


शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है ~बशीर बद्र

Nahin visal mayassar to aarzoo hi sahi Read Full Ghazal:


वजूद अपना है और आप तय करेंगे हम कहाँ पे होना है हम को कहाँ नहीं होना

इरादा था जी लूँगा तुझ से बिछड़ कर गुज़रता नहीं इक दिसम्बर अकेले


ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया झूटी क़सम से आप का ईमान तो गया ~दाग़ देहलवी

Sar jhukaane ko nahin kahte hain sajda karna

कितने चेहरे लगे हैं, चेहरों पर क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या

जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

मेरी कोशिश तो यही है कि ये मासूम रहे और दिल है कि समझदार हुआ जाता है - विकास शर्मा राज़

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