गया साल ये भी आख़िर, ये भी दिन गुज़र रहा है
कहीं कुछ बिखर रहा है, कहीं कुछ सँवर रहा है
~आलोक श्रीवास्तव
ज़िंदगी क्या जो बसर हो चैन से दिल में थोड़ी सी तमन्ना चाहिए ~जलील मानिकपूरी
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास, रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं. -मुनीर नियाज़ी @Rekhta
तेज़ हवा ने हर तरफ़ आग बिखेर दी तमाम अपने ही घर का ज़िक्र क्या शहर के शहर जल गए ~हसन आबिद
“रह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी, आगे और बढ़ें तो शायद दृश्य सुहाने आएँगे” -दुष्यन्त कुमार (साये में धूप)
करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए #मिर्ज़ा_ग़ालिब
कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता इतना आसान है पता मेरा
अब जो रिश्तों में बँधा हूँ
तो खुला है मुझ पर कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं
परों के होते
किस क़दर बद-नसीब हैं हम के हमें इंसानों की इस दुनिया में हमेशा इल्म और अक़ल की एहमियत साबित करना पड़ी है…
गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने #जौन_एलिया हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम
हर बार तुमसे मिलके बिछड़ता रहा हूं मैं तुम कौन हो ये खुद भी नहीं जानती हो तुम मैं कौन हूं ये खुद भी नहीं जानता हूं मैं
शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा,
कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा।
क्या तुम भी तरीक़ा नया ईजाद करो हो ख़ुद अपना बना कर मुझे बरबाद करो हो ~सय्यद शकील दस्नवी
Chalne ka hausla nahin, rukna muhaal kar diya Ishq ke is safar ne to mujh ko nidhaal kar diya #ParveenShakir #DeathAnniversary
शाम कहती है, कोई बात जुदा सी लिक्खूँ दिल का इसरार है फिर उस की उदासी लिक्खूँ ~फ़रहत शहज़ाद
ज़िंदगी मुख़्तसर मिली थी हमें हसरतें बे-शुमार ले के चले ~नौशाद अली
Dhalte suraj ne diya hai kitni yaadon ko farogh Chand yun ubhra ki har zarra ujaagar ho gaya ~Ahmad Tanvir
मैंने दो चार किताबें तो पढ़ी हैं लेकिन, शहर के तौर तरीक़े मुझे कम आते हैं| बशीर बद्र
ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ #MunirNiazi #DeathAnniversary
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और
बस मुझे यूँही इक ख़याल आया सोचती हो तो सोचती हो क्या ~जौन एलिया
इसी उमीद पे किरदार हम निभाते रहे कि रुख़ करेगी कभी दास्ताँ हमारी तरफ़ ~राजेश रेड्डी
आप की नज़रों में शायद इस लिए अच्छा हूँ मैं देखता सुनता हूँ सब कुछ फिर भी चुप रहता हूँ मैं
Nikal ke Khuld se unko milii Khilaafat-e-arz nikaale jaane kii tohmat hamaare sar aayi..Khuld : Paradise
भँवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे ~रज़ा हमदानी
मोहब्बत रही चार दिन ज़िंदगी में रहा चार दिन का असर ज़िंदगी भर ~अनवर शऊर
पुराने लोग समझते थे कुछ नया हूँ मैं नए दिनों ने पुराना बना दिया है मुझे ~हसन जमील
दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए #ShujaKhawar
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं #QateelShifai
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं Nida Fazli
गरचे अहल-ए-शराब हैं हम लोग ये न समझो ख़राब हैं हम लोग ~जिगर मुरादाबादी
Aankh se door na ho dil se utar jaayega Waqt ka kya hai guzarta hai guzar jaayega #AhmadFaraz
ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन हम-सफ़र आप जो होते तो मज़ा और ही था ~अमीता परसुराम 'मीता'
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली ~बशीर बद्र
ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना भी नहीं ~मुज़फ़्फ़र वारसी
ख़ाक से सैंकड़ों उगे ख़ुर्शीद
है अंधेरा मगर चराग़-तले
कितना मुश्किल काम है अच्छाइयों को ढूँढना यूँ तो ख़बरों से भरे हैं रोज़ ही अख़बार सौ ~प्रताप सोमवंशी
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को अपने अंदाज़ से गँवाने का
काँटों से गुज़र जाता हूँ, दामन को बचा कर फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ ~शकील बदायुनी
आधी से ज़ियादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँ अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है
Tha khwab mein khayal ko tujh se muamla Jab aankh khul gai na ziyan tha na sood tha #GhalibExplained
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है ~बशीर बद्र
Nahin visal mayassar to aarzoo hi sahi #Faiz Read Full Ghazal: http://rek.ht/a/0ilh
वजूद अपना है और आप तय करेंगे हम कहाँ पे होना है हम को कहाँ नहीं होना #लियाक़त_जाफ़री
इरादा था जी लूँगा तुझ से बिछड़ कर गुज़रता नहीं इक दिसम्बर अकेले
ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया झूटी क़सम से आप का ईमान तो गया ~दाग़ देहलवी
Sar jhukaane ko nahin kahte hain sajda karna
कितने चेहरे लगे हैं, चेहरों पर क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या
जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है #JaunEliya
मेरी कोशिश तो यही है कि ये मासूम रहे और दिल है कि समझदार हुआ जाता है - विकास शर्मा राज़
ज़िंदगी क्या जो बसर हो चैन से दिल में थोड़ी सी तमन्ना चाहिए ~जलील मानिकपूरी
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास, रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं. -मुनीर नियाज़ी @Rekhta
तेज़ हवा ने हर तरफ़ आग बिखेर दी तमाम अपने ही घर का ज़िक्र क्या शहर के शहर जल गए ~हसन आबिद
“रह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी, आगे और बढ़ें तो शायद दृश्य सुहाने आएँगे” -दुष्यन्त कुमार (साये में धूप)
करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए #मिर्ज़ा_ग़ालिब
कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता इतना आसान है पता मेरा
अब जो रिश्तों में बँधा हूँ
तो खुला है मुझ पर कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं
परों के होते
किस क़दर बद-नसीब हैं हम के हमें इंसानों की इस दुनिया में हमेशा इल्म और अक़ल की एहमियत साबित करना पड़ी है…
गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने #जौन_एलिया हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम
हर बार तुमसे मिलके बिछड़ता रहा हूं मैं तुम कौन हो ये खुद भी नहीं जानती हो तुम मैं कौन हूं ये खुद भी नहीं जानता हूं मैं
कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता
इतना आसान है पता मेरा
जिस्म में आग लगा दूँ उस के
और फिर ख़ुद ही बुझा दूँ उस को
उस के होंटों पे रख के होंट अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं
यारों कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस कयामत बाहों का
वो जो समेटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं..
#जॉनएलिया का ये शेर उनकी कब्र पर लिखा है..
क्या है जो बदल गई है दुनिया
मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ
कहानी ख़तम हनी वालीहै
मेरी आखिरी मोहब्बत हो तुम
मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से
समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया
इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया
कौन इस घर की देखभाल करे
रोज़ एक चीज़ टूट जाती है
हाल उस सैद का सुनाईए क्या ,,,
जिसका सैयाद ख़ुद क़फ़स में है
और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
Jurm mein hum kami karein bhi toh kyun?
Tum saza bhi toh kam nahin kartey.
कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा।
क्या तुम भी तरीक़ा नया ईजाद करो हो ख़ुद अपना बना कर मुझे बरबाद करो हो ~सय्यद शकील दस्नवी
Chalne ka hausla nahin, rukna muhaal kar diya Ishq ke is safar ne to mujh ko nidhaal kar diya #ParveenShakir #DeathAnniversary
शाम कहती है, कोई बात जुदा सी लिक्खूँ दिल का इसरार है फिर उस की उदासी लिक्खूँ ~फ़रहत शहज़ाद
ज़िंदगी मुख़्तसर मिली थी हमें हसरतें बे-शुमार ले के चले ~नौशाद अली
Dhalte suraj ne diya hai kitni yaadon ko farogh Chand yun ubhra ki har zarra ujaagar ho gaya ~Ahmad Tanvir
मैंने दो चार किताबें तो पढ़ी हैं लेकिन, शहर के तौर तरीक़े मुझे कम आते हैं| बशीर बद्र
ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ #MunirNiazi #DeathAnniversary
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और
बस मुझे यूँही इक ख़याल आया सोचती हो तो सोचती हो क्या ~जौन एलिया
इसी उमीद पे किरदार हम निभाते रहे कि रुख़ करेगी कभी दास्ताँ हमारी तरफ़ ~राजेश रेड्डी
आप की नज़रों में शायद इस लिए अच्छा हूँ मैं देखता सुनता हूँ सब कुछ फिर भी चुप रहता हूँ मैं
Nikal ke Khuld se unko milii Khilaafat-e-arz nikaale jaane kii tohmat hamaare sar aayi..Khuld : Paradise
भँवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे ~रज़ा हमदानी
मोहब्बत रही चार दिन ज़िंदगी में रहा चार दिन का असर ज़िंदगी भर ~अनवर शऊर
पुराने लोग समझते थे कुछ नया हूँ मैं नए दिनों ने पुराना बना दिया है मुझे ~हसन जमील
दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए #ShujaKhawar
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं #QateelShifai
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं Nida Fazli
गरचे अहल-ए-शराब हैं हम लोग ये न समझो ख़राब हैं हम लोग ~जिगर मुरादाबादी
Aankh se door na ho dil se utar jaayega Waqt ka kya hai guzarta hai guzar jaayega #AhmadFaraz
ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन हम-सफ़र आप जो होते तो मज़ा और ही था ~अमीता परसुराम 'मीता'
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली ~बशीर बद्र
ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना भी नहीं ~मुज़फ़्फ़र वारसी
Aisa lagta hai ki bujhne ki ghaDi aa pahunchi
Lau charaghon ki bahut tez hui jaati hai
ऐसा लगता है बुझने घड़ी आ पहुंची ,
लौ चिरांगों की बहुत तेज़ हुई जाती है। ~Fasih Rabbani
लौ चिरांगों की बहुत तेज़ हुई जाती है। ~Fasih Rabbani
इसी उमीद पे हम दिन ख़िज़ाँ के काटते हैं
कभी तो बाद-ए-बहार आएगी चमन की तरफ़
~नज़्म तबा-तबाई
Kya mila tumko mere ishq ka charcha kar ke
Tum bhi ruswa huye aakhir mujhe ruswa kar ke
~Jaleel Manikpuri
इसी उमीद पे हम आज तक भटकते हैं
हर एक शख़्स का कोई ठिकाना होता है
-Shahryar
उस की यादों ने उगा रक्खे हैं सूरज इतने
शाम का वक़्त भी आए तो सहर लगता है
#वसीम_बरेलवी
Ye mere ghar ki faza ko kiya hua
Kab yahan mera tumhaara tha kabhi
#ShariqKaifi
अब तो ले दे के यही काम है इन आँखों का
जिन को देखा नहीं उन ख़्वाबों की #ताबीर करें ...
~शहरयार
बड़ी तलब थी बड़ा इंतिज़ार, देखो तो
बहार लाई है कैसी बहार, देखो तो
~कलीम आजिज़
Kya haseen khwab mohabbat ne dikhaye the hamein
Jab khuli aankh to taabeer pe rona aaya
~Naushad Ali
अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो
संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे
~इक़बाल अज़ीम
फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं
फिर वही ज़िंदगी हमारी है
Mirza Ghalib
ख़ैर औरों ने भी चाहा तो है, तुझ सा होना
ये अलग बात कि मुमकिन नहीं ऐसा होना
~अहमद मुश्ताक़
ये फ़क़त आप की इनायत है
वर्ना मैं क्या मेरी हक़ीक़त क्या
~मिर्ज़ा हादी रुस्वा
वो कहते हैं मैं ज़िंदगानी हूँ तेरी
ये सच है तो उन का भरोसा नहीं है
~आसी ग़ाज़ीपुरी
चेहरे हैं कि सौ रंग में होते हैं नुमायाँ
आईने मगर कोई सियासत नहीं करते
~खुर्शीद अकबर
लम्हा लम्हा तजरबा होने लगा
मैं भी अंदर से नया होने लगा
~सरफ़राज़ दानिश
ये जो ज़िंदगी की किताब है, ये किताब भी क्या किताब है
कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है, कहीं जान-लेवा अज़ाब है
~राजेश रेड्डी
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तेरी हरगिज़
गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
~ख़्वाजा मीर 'दर्द'
ये कहानी भी ख़ूब है यारो
हर जगह एक सी इबारत है
~वजद चुगताई
ये ख़ुनुक ख़ुनुक हवाएँ ये झुकी झुकी घटाएँ
वो नज़र भी क्या नज़र है जो समझ न ले इशारा
~शकील बदायुनी
Baraabar khafa hon baraabar manayein
Na tum baaz aao na ham baaz aayein
mere baare mein.. ulTey-seedhey andaazey lagaatey rehtey hain sab
magar aa ke Theharta koii nahiin... mere hone ki hairaani mein
#FarhatEhsas Saa'b.
"Beete hue din yaad aaye, ya yaar koyi jo mil ke khoya... Hanste-hanste jaane hua kya, ishq dahaadein maar ke roya..!!!" #Muntashirism
कितना मुश्किल काम है अच्छाइयों को ढूँढना यूँ तो ख़बरों से भरे हैं रोज़ ही अख़बार सौ ~प्रताप सोमवंशी
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को अपने अंदाज़ से गँवाने का
काँटों से गुज़र जाता हूँ, दामन को बचा कर फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ ~शकील बदायुनी
आधी से ज़ियादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँ अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है
Tha khwab mein khayal ko tujh se muamla Jab aankh khul gai na ziyan tha na sood tha #GhalibExplained
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है ~बशीर बद्र
Nahin visal mayassar to aarzoo hi sahi #Faiz Read Full Ghazal: http://rek.ht/a/0ilh
वजूद अपना है और आप तय करेंगे हम कहाँ पे होना है हम को कहाँ नहीं होना #लियाक़त_जाफ़री
इरादा था जी लूँगा तुझ से बिछड़ कर गुज़रता नहीं इक दिसम्बर अकेले
ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया झूटी क़सम से आप का ईमान तो गया ~दाग़ देहलवी
Sar jhukaane ko nahin kahte hain sajda karna
कितने चेहरे लगे हैं, चेहरों पर क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या
जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है #JaunEliya
मेरी कोशिश तो यही है कि ये मासूम रहे और दिल है कि समझदार हुआ जाता है - विकास शर्मा राज़
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