हरियाणा सरकार एक तरफ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता का दावा करते नहीं थकती तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में सामान्य महिला को तो छोड़ें महिला अफसर और विधायक भी असुरक्षित महसूस करती हैं। यह सभ्य समाज के लिए शर्म और चिंता की बात है.
हरियाणा में महिलाएँ कितनी सुरक्षित ?
सिरसा जिले के खंड डबवाली की SDM रानी नागर ने सोशल मीडिया पर पुलिस सुरक्षा की पोल खोल दी है । वीडियो जारी करके अपनी जान को खतरा बताया है । इससे पहले भी हरियाणा की बीजेपी की विधायक संतोष सारवान भी सरकार पर आरोप लगा चुकी हैं कि कोई व्यक्ति उनका पीछा कर रहा था हालाँकि उसमें भी सरकार ने उन्हें सुरक्षा मुहैया करवा दी थी और इसके इलावा एक और मामला संज्ञान में आया था के पानीपत की महिला विधायक हैं रोहिता रेवडी ,उस पर भी हमले की बात आयी थी। कहने का मतलब यह के ,ये तो सामान्य महिला नहीं हैं। और जो यह महिला आज आरोप लगा रही है और जिस तरीके से ये लेटर लिखा है डबवाली की SDM हैं, एक IAS अफसर हैं और जैसा कि उन्होंने बताया की पहले भी उनका पीछा किया गया। हालाँकि पुलिस महानिदेशक ने निर्देश दे दिये हैं की इस महिला अफसर की सुरक्षा बढ़ाई जाये।

हरियाणा सरकार एक तरफ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता का दावा करते नहीं थकती तो वहीं दूसरी तरफ नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े सरकार के दावों की पोल खोलते प्रतीत होते हैं कि हरियाणा में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं। पंजाब के मुकाबले हरियाणा में बच्चियों से बलात्कार की घटनाएं ज्यादा हैं। लूट, रेप, हत्या, दंगा-फसाद जैसी हिंसक वारदातों में हरियाणा तीसरे नंबर पर आया है। ऐसी वारदातों में यूपी और बिहार जैसे प्रदेश भी हरियाणा से पीछे छूट गए हैं।
वारदातों का ब्यौरा 
प्रदेश में साल 2016 में कुल 14,392 हिंसक वारदात हुई जो संख्या के हिसाब से तो अन्य राज्यों के मुकाबले 11वें नंबर पर है, 
लेकिन बात यदि आबादी के हिसाब से अपराध दर की करें तो यह तीसरे नंबर पर आता है।
प्रदेश में 2016 में 1057 हत्याएं हुई जबकि 3922 केस अपहरण के दर्ज हुए। 
दंगा-फसाद तो यहां आम हो गया है। 
औसतन हर सप्ताह प्रदेश में कहीं कहीं एक दंगा जरूर हो रहा है। 
पिछले साल 2744 दंगा-फसाद हुए हैं। 
1187 महिलाओं के साथ रेप किया गया और 137 के साथ रेप करने की कोशिश हुई। 
1070 जगह आगजनी की घटनाएं हुई। 
177 जगह डकैती डाली गई और 734 जगह लूट की वारदातों को अपराधियों ने अंजाम दिया। 
260 बेटियों को दहेज के लिए बलि चढ़ा दिया गया। 
889 लोगों पर जानलेवा हमला हुआ तो 2052 लोगों को गंभीर चोट मारी गई। 
 सभ्य समाज के लिए शर्म और चिंता की बात है।
ऑटो या कैब लेना भी आजकल खतरे से खाली नहीं है।
मैं पुलिस पर भी निर्भर नहीं रह सकती, क्योंकि ज्यादातर समय उनका हेल्पलाइन नंबर काम ही नहीं करता।"
महिला और उनके परिधानों को उनकी मुसीबतों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
 पुलिस का अभी भी वही रवैया है, महिलाएं अभी भी शिकायत दर्ज कराने को लेकर सहज नहीं हैं। 

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