प्रदीप मलिक
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एनआरएचएम के लिए केंद्र पहले 85 प्रतिशत ग्रांट देता था

-लेकिन, अब केंद्र से 60 प्रतिशत ही ग्रांट आती है, 40 फीसदी राज्यों को स्वयं वहन करना होता है
-एनआरएचएम को इंपलाइमेंट एक्सचेंज बना दिया था पिछली सरकार ने

-वैसे एनआरएचएम की स्थापना इसलिए की गई थी कि जहां पर प्रदेश का स्वास्थ्य विभा ग मुलभूत सुविधाएं नहीं दे पाए वहां पर एनआरएचएम इस गैप को पूरा कर सके
-बार-बार अब एनआरएचएम के कर्मचारी जा रहे हैं स्ट्राइक पर
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चंडीगढ़। नेशनल रूरल हैल्थ मिशन (एनआरएचएम) की स्थापना 2005 में इसलिए की गई थी ताकि जहां पर राज्यों का हैल्थ डिपार्टमेंट लोगों को स्वास्थ्य संबंधी मूल•ाूत सुविधाएं नहीं दे सकता, वहां पर एनआरएचएम इस गैप को पूरा कर सकेगा। हैरानी होती है कि कई राज्यों ने एनआरएचएम को इमंलाइपमेंट एक्सचेंज बनाया हुआ है, जिसमें हरियाणा भी  शामिल है। हालांकि, अब एनआरएचएम का नाम एनएचएम हो गया, पहले जहां एनएचएम को 85 प्रतिशत ग्रांट केंद्र सरकार देती थी और राज्यों को केवल 15 फीसदी ही देना होता था। उस चक्कर में यहां सिफारिशी लोगों की बहुत भर्तियां की हुई है। पहले 2005 में केवल इसका बजट 25 करोड़ होता था जो अब बढ़कर 593 करोड़ 78 लाख रुपए हो गया है। एनएचएम का पहला फेस 2005 से 2012 तक रहा, लेकिन दूसरा चरण 2012 से 2017 तक रहा इसमें केंद्र सरकार ने 75 प्रतिशत की ग्रांट देनी शुरू की और राज्यों को कहा कि 25 फीसदी राज्य स्वयं वहन करें।
हालांकि, केंद्र ने दूसरे चरण के मध्य में ही 2014-15 और 2015-16 के लिए अपने बजट में अचानक कटौती कर दी और तय किया कि केंद्र 60 प्रतिशत ग्रांट ही देगा और 40 प्रतिशत धनराशि राज्यों को स्वयं वहन करनी होगा। यह अलग बात है कि कई राज्यों में एनएचएम में धांधली भी  हुई हैं।
जहां एनएचएम में पहले 15 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते थे, लेकिन जैसे ही केंद्र से बजट कम हुआ तो यहां से काफी कर्मचारियों की छटनी भी  हुई है और अब यहां पर 12 हजार 500 कर्मचारी ही रह गए हैं। लेकिन, इस मिशन को जिस लक्ष्य के लिए शुरू किया था वह अभी  तक पूरा नहीं हुआ है। मेवात जैसे क्षेत्र के लोग आज भी  बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरस रहे हैं।
लेकिन, अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि एनएचएम के कर्मचारी बार-बार स्ट्राइक पर क्यों जा रहे हैं? मिली जानकारी के अनुसार इनके वेतन को लेकर कुछ विसंगतियां हैं और ये कर्मचारी रेगुलर होना चाहते हैं। वैसे एनएचएम के तहत जो स्टॉफ नर्स काम कर रही है उसको करीब 13 हजार 100 रुपए वेतन के मिलते हैं और रेगुलर स्टॉफ नर्स को 30 हजार रुपए से अधिक वेतन मिलता है। एनएचएम की एएनएम को करीब 10 हजार रुपए ही मिलते हैं और रेगुलर एएनएम को 25 हजार रुपए से अधिक तनख्या मिलती है। सबसे अधिक काम एनएचएम के ही कर्मचारी करते हैं।
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में 70 प्रतिशत स्टॉफ नर्र्से एनएचएम की हैं तथा एएनएम 50 प्रतिशत है। इसके अलावा पैरामेडिकल स्टॉफ में भी  50 प्रतिशत से अधिक स्टॉफ एनएचएम का है। सरकारी एंबुलेस के 90 प्रतिशत ड्राइवर तो एनएचएम के हैं। इसलिए एनएचएम के कर्मचारी स्ट्राइक पर जाने से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाती हैं।

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इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कहना है कि सरकार एनएचएम के कर्मचारियों पर 180 करोड़ रुपये वार्षिक खर्च कर रही है। कर्मचारियों  की अधिकतर मांगे पहले ही पूरी की जा चुकी है। इनमें कर्मचारियों के वेतनमान में पहले 5 प्रतिशत तथा बाद में 3 प्रतिशत दूसरी बढोतरी की गई है। इसके अलावा ऐसे कर्मचारियों के 7 वें वेतन आयोग के अनुसार 14.29 प्रतिशत वेतन वृद्घि की अनुशंसा •ाी पहले ही की जा चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि हड़ताल पर गये एनएचएम कर्मचारियों को नोटिस दिया जा चुका है, जिसके चलते बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने ड्यूटी ज्वाईन कर ली है। इसके बावजूद जो कर्मचारी काम पर नही लोटे हैं, उन्हें बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मरीजों को दिक्कत न हों इसके लिए नई •ार्ती की प्रक्रिया •ाी शुरू करने के निर्देश दिए है।
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नागरिक अस्पतालों के 2 किलोमीटर की परिधि में धारा 144 लगाई
अनिल विज ने मरीजों की सुविधा एवं उचित उपचार के मद्देनजर राज्य के नागरिक अस्पतालों के 2 किलोमीटर की परीधि में धारा 144 लगाने के निर्देश दिये है।
विज ने सोमवार को यहां स्वास्थ्य वि•ााग के अधिकारियों की बैठक में यह निर्देश दिये है। इसमें वि•ााग के प्रधान सचिव  अमित झा, महानिदेशक डॉ. सतीश अग्रवाल सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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